Delhi News: पिछले महीने से लेकर अब तक लगातार बढ़ते जा रहे सब्जियों के दामों को लेकर लोग परेशान हैं. पिछले महीने भीषण गर्मी और अब बारिश के कारण फसलें खराब होने के कारण बढ़ रहे है दाम
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Vegetable Price: मानसून ने जहां गर्मी से राहत दी है, वहीं इसकी वजह से सब्जियों के दामों में भी भारी उछाल आया है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में लोगों पर बोझ बढ़ गया है. भारी बारिश की वजह से आलू, प्याज और टमाटर के दामों में उछाल आया है. राज्य के अधिकांश हिस्सों में टमाटर के दाम 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच पहुंच गए हैं, जबकि दिल्ली-एनसीआर में प्याज 90 रुपये और आलू 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं.
बारिश की वजह से हुई फसले बर्बाद
विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर और हरियाणा समेत उत्तर भारत में सब्जियों के दामों में और उछाल आएगा. किसानों का कहना है कि भारी बारिश की वजह से उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं. दिल्ली में एएनआई से बात करते हुए एक ग्राहक ने कहा, सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण गुजारा करना मुश्किल हो गया है, हर सब्जी के दाम बढ़ गए हैं. टमाटर महंगे हैं, मिर्च महंगी है। इस महंगाई की मुख्य वजह भारी बारिश है. टमाटर जैसे खाने के प्रमुख तत्व अब पहुंच से बाहर हो गए हैं. आप थोड़ी सी सब्जी खरीदते हैं और बिल पांच सौ से छह सौ रुपये आता है.
आने वाले दिनों में और हो सकती है सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी
आजादपुर मंडी में एएनआई से बात करते हुए एक विक्रेता ने कहा, बारिश के कारण सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं. इस दौरान सभी सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं. आने वाले दिनों में प्याज और टमाटर के दाम में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है. दिल्ली के मुकाबले यूपी और दक्षिण के बाजारों में सब्जियों के दाम में ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है. हाल के महीनों में टमाटर, आलू और प्याज के दाम में काफी बढ़ोतरी हुई है। जुलाई में बारिश के आने से सब्जियों के दाम में काफी उछाल आया है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई में थोक खाद्य कीमतों में महीने-दर-महीने बढ़ोतरी हुई है. खाद्य पदार्थों का थोक मूल्य सूचकांक अप्रैल के 5.52 फीसदी से बढ़कर मई में 7.40 फीसदी हो गया. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित देश में थोक मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 2.61 फीसदी हो गई, जबकि अप्रैल में यह 1.26 फीसदी थी. हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के 2-6 फीसदी के आरामदायक स्तर से कम है, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय है।. अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों के अनुसार, भविष्य में मूल्य अनिश्चितताएं खाद्य कीमतों से प्रभावित होंगी.