Reasi Terror Attack News: रविवार को जम्मू के शिवखोड़ी धाम से लौटती समय श्रद्धालुओं की बस पर आतंकी हमले के दौरान दिल्ली के तुगलकबाद एक्सटेंशन का परिवार थी. तुगलकाबाद एक्सटेंशन के निवासी 6 जून को अपनी सालगिरह मनाने के लिए वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने गया था. हालांकि, यात्रा उसके लिए भयानक हो गई जब उसे मिनटों के दौरान अपने दो बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपाना पड़ा. उन्होंने यात्रा के उन क्षणों को याद किया, जब वह लौट रहे थे और जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर घातक आतंकवादी हमला हुआ था.


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20-25 मिनट के डर को कभी नहीं भूलूंगा
दिल्ली निवासी और आतंकी हमले में जीवित बचे पीड़ित भवानी शंकर ने आपबीती बताई. उन्होंने कहा कि जब पहाड़ियों से गोलियां चल रही थीं तो मैंने झुककर अपने दोनों बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया. मैं उन 20-25 मिनट के डर को कभी नहीं भूलूंगा. शंकर के साथ उनकी पत्नी राधा देवी और दो बच्चे दीक्षा (5) और राघव (3) भी थे. शंकर और उनके परिवार का जम्मू-कश्मीर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है. वे आतंकी हमले में घायल हुए दिल्ली के पांच लोगों में से थे.


गोलीबारी के बाद खाई में जा गिरी यात्रियों से भरी बस  
इस आतंकी हमले में नौ लोगों की जान चली गई और कम से कम 41 लोग घायल हो गए. उन्होंने 53 सीटों वाली बस पर गोलीबारी की, जो कटरा में शिवखोड़ी मंदिर से माता वैष्णो देवी मंदिर की ओर जा रही थी. हमले के बाद रविवार शाम रियासी के पोनी इलाके के टेरयाथ गांव के पास बस सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गई.


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10-15 सेकेंड में 20-25 से अधिक गोलियां चली


शंकर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि 6 जून को दिल्ली से श्री शक्ति एक्सप्रेस में सवार हुए और कटरा पहुंचे. 7 जून को वैष्णो देवी मंदिर गए और 8 जून की आधी रात तक अपने होटल के कमरे में लौट आए. उन्होंने कहा, 9 जून को कटरा से शिवखोड़ी मंदिर के लिए बस ली. उन्होंने कहा कि मंदिर से लौटते वक्त बस पर हमला हुआ. हमारे बच्चे हमारी गोद में थे. हमने शाम लगभग 6 बजे गोलियों की आवाज सुनी. केवल 10-15 सेकेंड में 20-25 से अधिक गोलियां चलाई गईं. एक गोली बस के ड्राइवर को लगी और बस अनियंत्रित हो गई. 


जिंदगी हो सकती है खत्म ये सोचकर हम एक-दूसरे के गले लग गए
शंकर ने बताया किया कि बस कैसे मुड़ी और हवा में घूम गई. बाद में यह अपनी सीधी स्थिति में आ गया ,लेकिन पहिए पहाड़ी इलाके में पत्थरों और पेड़ों में फंस गए. शंकर नीचे झुक गया और उन्होंने अपने दोनों बच्चों को सीट के नीचे छिपा दिया. क्योंकि पहाड़ियों से गोलीबारी जारी थी. फिर कहा, हमने यह सोचकर एक-दूसरे को कसकर गले लगाया कि यह हमारे जीवन का अंतिम क्षण हो सकता है. कुछ लोग चिल्ला रहे थे, हमला हो गया है.


शंकर और दोनों बच्चे एक ही अस्पताल में भर्ती, जबकि पत्नी को दूसरे में किया एडमिट
शंकर ने कहा, हम 20-25 मिनट तक इसी स्थिति में रहे. क्योंकि जब हम घाटी में पड़े थे तो कुछ और गोलियां चलाई गई थीं. उन्होंने कहा कि वह इस भयानक घटना को कभी नहीं भूलेंगे. जैसे ही बस ने हवा में पलटियां खाईं, कई यात्री उसमें से गिर गए, शंकर ने कहा, बचाव दल के आने तक लोगों ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया. वह और उनके दो बच्चे एक ही अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि उनकी पत्नी का इलाज जम्मू-कश्मीर के दूसरे अस्पताल में चल रहा है. उन्होंने कहा, मेरे बेटे का हाथ टूट गया है और मेरी बेटी के सिर में चोटें आई हैं. मेरी पीठ में अंदरूनी चोटें आई हैं और मेरी पत्नी के सिर और पैरों में कई चोटें आई हैं. 


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