Book BanK Masterji: जानें कौन है वो शख्स जो कार में लेकर चलते हैं किताबें, पढ़ने के लिए लेते हैं साल के 10 रुपये रेंट
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Book BanK Masterji: जानें कौन है वो शख्स जो कार में लेकर चलते हैं किताबें, पढ़ने के लिए लेते हैं साल के 10 रुपये रेंट

Book BanK Masterji: शिक्षा मे क्रांति लाने की बात तो हर सरकार करती है, लेकिन समाज में लोकेश मास्टरजी जैसे लोग हों तो निश्चित रूप से शिक्षा मे क्रांति आ सकती है. पेशे से कम्प्यूटर साइंस टीचर लोकेश अपनी कार में किताबों का बंडल लेकर चलते हैं  और सिर्फ 10 रुपये रेंट सालभर पढ़ने के लिए लेते हैं. आइए इनकी कहानी के बारे में जानते हैं. 

Book BanK Masterji: जानें कौन है वो शख्स जो कार में लेकर चलते हैं किताबें, पढ़ने के लिए लेते हैं साल के 10 रुपये रेंट

Book BanK Masterji Story: पेशे से कम्प्यूटर साइंस टीचर लोकेश को कई नामों से पहचाना जाता है. दिल्ली में बुक बैंक मास्टर जी के नाम के नाम से एक व्यक्ति काफी फेमस है. जो अपनी वैगन कार में किताबों का बंडल लेकर चलते हैं और जरूरतमंद छात्रों को 10 रुपये सेवा शुल्क लेकर किताबें साल भर के लिए देते हैं.

इलाके में बुक बैंक मास्टर जी के नाम से प्रसिद्ध
बुक बैंक वाले मास्टर जी के नाम से प्रसिद्ध इनका असली नाम लोकेश कुमार है. ये कम्प्यूटर साइंस के शिक्षक हैं और कोचिंग चलाते हैं. इनके कोचिंग में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने आते हैं, जिससे इनका गुजर बसर होता है. साथ हीं कोचिंग में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे और जिनको पढ़ने की इच्छा होती है उन्हें ये मुफ्त में पढ़ाते भी हैं. लोकेश मास्टर जी ने बताया कि जब वो पढ़ाई कर रहे थे उस समय उनके घर कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और उन्हें पढ़ाई के लिए किताब भी नहीं मील पाती थी. जैसे-तैसे करके उन्होंने अपनी पढ़ाई पुरी की, लेकिन उसी समय उन्होंने सोच लिया कि जब वो थोड़ा बहुत भी आर्थिक रूप से संपन्न हो जाएंगे तो आर्थिक तंगी से जो छात्र पढ़ाई नहीं कर पाता है उसकी मदद करेंगे. उसे मुफ्त मे किताब देंगे और जैसे ही वो इस काबिल हुए तो उन्होंने ये सिलसिला शुरू कर दिया.

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अपनी कार में लेकर चलते हैं किताबों का बंडल
पांच साल पहले उन्होंने किताबें बच्चों देना शुरू किया था जो अब भी जारी है. मास्टर जी पहले अपने कार में हीं किताब लेकर चलते थे और जरूरतमंद को उनके घर पर किताब देकर आते थे. धीरे-धीरे लोग इन्हें जानने लगे और इन्हे फोन कर बुलाते थे और किताब लेते थे. तभी से लोग इनको बुक बैंक वाले मास्टर जी नाम दे दिया और इस नाम से ये साउथ दिल्ली में जाने जाने लगे. बाद में इन्हें आर के पुरम में एक छोटी सी जगह दी गई जहां ये किताबें रखने लगे और बच्चे वहां आकर भी अब किताबें लेते हैं. साथ हीं कार में भी किताब लेकर देने का सिलसिला जारी है. इनके सेवा भावना को देखते हुए अब कई लोग इनसे जुड़ गए हैं और इनका हाथ बंटाते हैं.

सिर्फ 10 रुपये में सालभर के लिए देते हैं रेंट पर देते हैं किताबें
मास्टर जी ने बताया कि वे आखिर इतनी किताबें कहां से लाते हैं. उन्होंने कहा कि जिनके बच्चे अगली क्लास में चले जाते हैं तो वो उनसे संपर्क करते हैं और उन्हें किताब दे देते हैं. इसी तरह करके पुरे इलाके से वो किताब इकठ्ठा करते हैं. साथ हीं अगर कोई किताब नहीं मिलती है तो उन्हें बाजार से खरीदते हैं. साथ ही किताबों पर सेवा शुल्क लेने का कारण उन्होंने बताया कि किसी को ये नहीं लगे कि वो फ्री मे किताबें लेकर पढ़ाई कर रहे हैं, इसलिए सिर्फ 10 रुपये लिए जाते हैं.

'किताब हीं नहीं बल्कि पढ़ाई में करते हैं मदद'
किताब लेने आए बच्चों ने बताया कि वो मास्टर जी से 8 वीं क्लास से किताब ले रहे हैं, जिनमें से कोई 11वीं तो कोई 12वीं पास हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि मास्टर जी के सहयोग से ही आज वो पढ़ाई में अच्छा कर पाए हैं, क्योंकि मास्टर जी किताब हीं नहीं बल्कि उनके पढ़ाई में भी काफी मदद करते हैं.

शिक्षा मे क्रांति लाने की बात तो हर सरकार करती है, लेकिन समाज में अगर ऐसे लोग हों तो निश्चित रूप से शिक्षा मे क्रांति आ सकती है.

Input: मुकेश सिंह

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