RLD-NDA Alliance: अखिलेश को बोलकर बाय, जयंत BJP खेमे में आए? जल्द हो सकता है RLD-NDA गठबंधन!
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1818453

RLD-NDA Alliance: अखिलेश को बोलकर बाय, जयंत BJP खेमे में आए? जल्द हो सकता है RLD-NDA गठबंधन!

RLD-NDA Alliance:  मिली जानकारी के अनुसार आरएलडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की बात अपने आखिरी दौर में है. जल्द ही दोनों पार्टियां एक मंच पर औपचारिक रूप से देखी जा सकेंगी. अगर ऐसा होता है तो पश्चिमी यूपी में खासकर बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में बीजेपी की पहुंच और मजबूत हो जाएगी. 

RLD-NDA Alliance: अखिलेश को बोलकर बाय, जयंत BJP खेमे में आए? जल्द हो सकता है RLD-NDA गठबंधन!

RLD-NDA Alliance: उत्तर प्रदेश की सियासत में जल्द ही कुछ बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल सकता है. सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और NDA के बीच जल्द ही गठबंधन हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो आगामी चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को पश्चिमी यूपी में बड़ा फायदा मिल सकता है. 

RLD को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
मिली जानकारी के अनुसार आरएलडी और बीजेपी के बीच गठबंधन की बात अपने आखिरी दौर में है. जल्द ही दोनों पार्टियां एक मंच पर औपचारिक रूप से देखी जा सकेंगी. अगर ऐसा होता है तो पश्चिमी यूपी में खासकर बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में बीजेपी की पहुंच और मजबूत हो जाएगी. क्योंकि इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय लोक दल की अच्छी-खासी पकड़ है. इसके साथ ही राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो मोदी और योगी कैबिनेट विस्तार में आरएलडी को बड़ी जिम्मेदारी भी मिल सकती है. बताया जा रहा है कि इसके लिए योगी कैबिनेट का विस्तार अगस्त में ही हो सकता है. 

क्या है अखिलेश से दूरी की वजह
बता दें कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कड़वाहट आ गई थी. रालोद समाजवादी पार्टी से चुनावों में 12 सीटें मांग रही है, लेकिन शायद सपा इसके लिए तैयार नहीं है, जिस वजह से दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच दूरियां पनपनी शुरू हो गई, जो आज यहां तक आ गई है.  

बीजेपी को मिलेगा फायदा
बता दें कि बीजेपी को रालोद का साथ मिल जाने के बाद जाट बहुल इलाकों में बीजेपी की पकड़ मजबूत हो जाएगी. किसान आंदोलन के बाद से बीजेपी के खिलाफ किसानों के बदले तेवर के बीच रालोद बीजेपी के लिए बड़ी भूमिका निभा सकती है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि क्या समाजवादी पार्टी की इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया होती है.