ई-ट्रेडिंग प्रणाली के विरोध, बढ़ाई गई मार्केट फीस और HRFD वापस लेने की मांग को लेकर आढ़तियों की हड़ताल 5वें दिन भी जारी है. आढ़तियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक वे आमरण अनशन से नहीं उठेगें.
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कमरजीत सिंह विर्क/करनालः हरियाणा के जिले करनाल में ई-ट्रेडिंग प्रणाली के विरोध, बढ़ाई गई मार्केट फीस और HRFD वापस लेने की मांग को लेकर शुक्रवार को आढ़तियों की हड़ताल 5वें दिन में प्रवेश कर गई. वहीं आज करनाल की नई अनाज मंडी में दोपहर को प्रदेशभर की आढ़ती एसोसिएशन के 7 सदस्य करनाल की अनाज मंडी में आमरण अनशन पर बैठ गए.
आढ़तियों का कहना है कि जबतक उनकी मांगों पूरी नहीं होती वह आमरण अनशन से नहीं उठेगें. अब दिन रात वह धरना स्थल पर ही बैठे रहेंगे. वहीं दूसरी और अब किसानों भी आढ़तियों के खिलाफ मार्च खोलने की तैयारी. पिछले 5 दिन से किसानों की धान की खरीद नहीं हो रही है. पांच दिन से वह मंडी में अपनी धान के पास पड़े है. ऊपर से चार दिन से हो रही बरसात ने भी किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
ये आढ़ती बैठे अमारण अनशन
शुक्रवार को भी मांगों को लेकर आढ़तियों ने नई अनाज मंडी में धरना दिया. दोपहर बाद मंडी के एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुप्ता, करनाल नई अनाज मंडी के प्रधान रजनीश चौधरी, प्रदेश महासचिव बिट्टू चावला, विजय छाबड़ा, नितिन बजाज सहित 7 आढ़ती आमरण अनशन पर बैठ गए.
21 को किया था CM आवास को घेराव
बात दें कि प्रदेशभर के आढ़ती अपनी मांगों को लेकर 19 सितंबर से हड़ताल पर चले गए थे. 21 सितंबर को प्रदेशभर के आढ़तियों ने CM आवास का घेरवा कर CM के प्रतिनिधी संजय बठला को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था. सरकार को 22 सितंबर तक का समय बातचीत के लिए दिया था. उसके बाद आज से आढ़तियों द्वारा आमरण अनशन शुरू कर दिया.
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मांगों पर विचार नहीं करती सरकार, हड़ताल जारी रहेगी
मंडी प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि आढ़तियों की मांगों को लेकर अमरण अनशन शुरू किया गया है. 7 लोग आज अनशन पर बैठे है. उन्होंने कि सरकार जनता की सुनने के लिए होती है, लेकिन सरकार उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही. अभी तक सरकार की तरफ से कोई न्यौता नहीं आया है. जब तक सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी.
पिछले 6 साल से लड़ रहे लड़ाई, सरकार दे रही झुठा आश्वासन
प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर आढ़ती पिछले 6 सालों से लड़ाई लड़ रही है. सरकार बार-बार झुठा आश्वासन देती आ रही है. उनको आढ़त भी पूरी नहीं दी जा रही और ई-डे्रडिंग प्रणाली को जबरदस्ती लागू करना चाह रही है. अपनी मांगों को लेकर पूरे हरियाणा का आढ़ती आंदोलन पर है. हरियाणा की किसी भी मंड़ी में खरीद नहीं हो रही.
7 आढ़ती एंव पदाधिकारी अमरण अनशन पर है. उनका अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं की जाती. उनकी मांग है कि जल्द ही सरकार कोई फैसला लेकर हड़ताल को खत्म करवाएं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने जल्द ही कोई फैसला नहीं लिया तो आंदोलन तेज किया जाएगा.
अमरण अनशन पर बैठक आढ़ती एसोसिएशन स्टेट के कोषाध्यक्ष बिट्टू कालड़ा ने कहा कि आढ़तियों की विभिन्न मांगों को लेकर वह अनशन पर बैठे है. सरकार ने हरियाणा में मार्किट फीस बढ़ा दी है, जबकि चार राज्यों में फीस कम है, जिस कारण उनकी मंडियों का माल अन्य राज्यों में जाता है, जिससे सरकार का भी नुकसान है. उनकी अढ़ाई प्रतिशत आढ़त कम कर दी. जोकि पिछले 25 सालों से चल रही थी. मांग है कि सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा करें.
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ये है आढ़तियों की मुख्य मांगें
सभी फसलें MSP पर आढ़तियों के माध्यम से ही खरीदी जाएं. आढ़तियों को पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त मिलनी चाहिए. दो सीजन से गेहूं पर 46 रुपए और धान पर 45.80 रुपए दी गई है, जबकि 51 रुपये बनती है. पिछले साल से ही MSP का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है. इससे आढ़तियों और किसानों में रोष है. सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा के अनुसार आढ़ती या स्वयं उसके खाते में किया जाना चाहिए.
मार्केटिंग बोर्ड ने ई-नेम लागू करने के आदेश जारी किए हैं. यह प्रक्रिया प्राइवेट बिकने वाली फसलों पर लागू नहीं हो सकती है. ई-ट्रेडिंग सिर्फ उत्पाद की हो सकती है, जबकि मंडियों में आने वाली फसलें कच्चा माल हैं. इसलिए यह प्रक्रिया मंडियों में लागू न की जाए. सीमांत किसानों को ई-खरीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड करने के बाद भी सरकार ने उनकी फसलें नहीं खरीदी हैं.
जबकि, सीमांत किसान प्रदेश बनने के बाद से ही मंडियों से जुड़े हुए हैं. बहुत से किसान प्रदेश के ही रहने वाले हैं. सरकार द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों और आढ़तियों को बहुत नुकसान हुआ है. इससे उनमें रोष है. आगामी सीजन में सभी सीमांत किसानों की फसलों की खरीदी जाए. साल 2020 में धान पर मार्केट और HRDF फीस 4 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दी थी.
लेकिन, विभाग ने यह फीस एक प्रतिशत से बढ़ाकर फिर से 4 प्रतिशत कर दी है, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह फीस बहुत कम है. टैक्स कम होने के कारण व्यापारी दूसरे प्रदेशों से धान खरीद रहे हैं. इससे हरियाणा के किसानों को धान के दाम कम मिल रहे हैं. सरकार फीस घटाकर एक प्रतिशत करे.