Surya Grahan 2023: सूर्य ग्रहण पर कुरुक्षेत्र के इस कुंड में नहाने से मिलता है मोक्ष, जानें वजह
Surya Grahan: गुरुवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 5 मिनट से शुरू हो गया है. इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है.
Surya Grahan 2023: साल का पहला ग्रहण आज सुबह 7 बजकर 5 मिनट से शुरू हो गया है. यह ग्रहण करीब 5 घंटे 24 मिनट तक पड़ेगा. यानी ग्रहण दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा. हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिख रहा है. इस साल करीब 4 सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं. वहीं इनमें से एक ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा. ये ग्रहण चंद्र ग्रहण होगा, जो कि अक्टूबर में दिखाई देगा.
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सूतक काल का नहीं पड़ेगा प्रभाव
भले ही यह ग्रहण भारत में दिखाई न दे रहा हो, लेकिन इससे सचेत रहने की आवश्यकता उतनी ही है, जितनी तब होती जब यहां पड़ रहा होता. मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही ग्रहण खत्म होने के बाद जरूर नहाना चाहिए. वहीं ग्रहण के वक्त गर्भवती महिलाओं को इसका खास ख्याल रखना चाहिए. उन्हें नारियल या कोई और श्रीफल गोद में लेकर बैठना चाहिए. वहीं ग्रहण के बाद उसे जल में बहा देना चाहिए. इससे उनके गर्भ पर कोई असर नहीं होता है. वहीं इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है. वहीं सूर्य ग्रहण के भारत में न दिखाई देने से किसी प्रकार से डरने की जरूरत भी नहीं है, लेकिन आप सावधानी बरतें तो बेहतर होगा.
कुरुक्षेत्र के कुंड में स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
वहीं भारत में सूर्यग्रहण का सबसे बड़ा तीर्थ हरियाणा का कुरुक्षेत्र है. मान्यता है कि कुरुक्षेत्र में इसका ज्यादा प्रभाव देखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में सूर्य ग्रहण के समय सभी देवी-देवता स्नान करने के लिए आते है. इसलिए माना जाता है कि इस ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुरुक्षेत्र के कुंड में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि अश्वमेघ यज्ञ करने से मिलता है. वहीं मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण सूर्य ग्रहण के दौरान राधा रानी के साथ कुरुक्षेत्र के कुंड में स्नान करने आए थे. इस दौरान उनके साथ ब्रज की गोपियां भी स्नान करने के लिए पहुंची थी. साथ ही यहां काशी, कौशल, वत्स, अंग, पांचाल देशों के राजा-महाराज भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे. इसलिए माना जाता है कि इस ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं चंद्र ग्रहण का सबसे बड़ा तीर्थ काशी में है.