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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पीएचडी (Ph.D) करने के लिए मास्टर्स की अनिवार्यता खत्म कर दी है. इसको लेकर यूजीसी ने नई गाइडलाइन जारी की हैं, जिसके तहत 4 साल का अंडर ग्रेजुएट कोर्स 7.5 सीजीपीए के साथ पास करने वाले छात्र पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे.
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पीएचडी करने के लिए मास्टर्स की जरूरत खत्म कर दी है. यूजीसी द्वारा पीएचडी प्रोग्राम के लिए जारी नई गाइडलाइंस के अनुसार अब 7.5 सीजीपीए के साथ 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट कोर्स करने वाले छात्र पीएचडी में एडमिशन ले सकेंगे. यूजीसी ने हाल ही में पीएचडी डिग्री को लेकर नए नियम जारी किए थे, जिसमें उपरोक्त नियम का प्रावधान किया गया था.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एम फिल को समाप्त करने की अनुशंसा की गई है. साथ ही 4 साल का यूजी कोर्स शुरू करने की घोषणा की है. इन्हीं प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए यूजीसी ने पीएचडी के नियमों में बदलाव किया है.
इस सेशन से लागू किया जा सकता है ये नियम
इन नए नियमों को आगामी सत्र 2022-23 से लागू किया जा सकता है. यूजीसी ने इस नए प्रावधान के बारे में कहा है कि इसका मकसद रिसर्च को बढ़ावा देना है. साथ ही यह भी बताया गया है कि यूजी कोर्स में 7.5 या इससे अधिक CGPA हासिल करने वाले छात्र PHD में एडमिशन ले सकेंगे, लेकिन जिन छात्रों का 7.5 सीजीपीए से कम है, उनको 1 साल की मास्टर डिग्री हासिल करनी होगी.
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