नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जालौन में 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) के उद्घाटन और 5 दिन बाद ही उसके धंसने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब योगी सरकार में ही शुरू हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal Expressway) में भी कई खामियां निकलकर सामने आई हैं. अब ये खामियां लोगों पर मौत बनकर मंडराने लगी हैं. 


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दरअसल बाराबंकी में लोनीकटरा थाने के नरेंद्रपुर मदरहा में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर 25 जुलाई की सुबह दो बसों में भिड़ंत हो गई थी. इस भीषण हादसे में 9 लोगों की मौत, जबकि 17 लोग घायल हो गए थे.


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हादसे के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) ने दुर्घटना की वजह पता लगाने के लिए सेव लाइफ फाउंडेशन (SLF) की तीन सदस्यीय टीम को भेजा था. एक रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी बस में पीछे से तेज रफ्तार बस ने टक्कर मार दी थी. मंगलवार को दिल्ली से गई टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और रिपोर्ट तैयार की.


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SLF की जांच रिपोर्ट के मुताबिक जिस जगह हादसा हुआ, वहां की रोड काफी मोड़नुमा (कर्वी) थी, जिससे रफ्तार में हादसे की संभावना रहती है. वहीं पूरे एक्सप्रेसवे पर संकेतकों की संख्या बहुत कम है, जिससे वाहन चालकों को रास्ते का सही अंदाजा नहीं मिल पाता. इसके अलावा रोड से एक किमी दूरी पर रेस्टोरेंट बनना चाहिए था.


SLF पर इतना भरोसा क्यों?


SLF की टीम सड़कों से जुड़ी रिपोर्ट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सौंपती हैं. साथ ही सुधार के लिए सुझाव भी देती  है. आगरा एक्सप्रेसवे को भी एसएलएफ ने गोद लिया है.। इस संस्था के सुझाव और सुधार से आगरा एक्सप्रेसवे में हादसों का ग्राफ गिरा है. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था शिलान्यास 


लखनऊ से गाजीपुर तक बना 340.8 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे 6 लेन का है. 2021 तक यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे कहा जाता है. 2018 में शुरू हुए इस एक्सप्रेसवे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़ और मऊ से गुजरता है. दावा किया गया था इसके बनने के बाद दिल्ली से गाजीपुर तक की यात्रा 10 घंटे में पूरी हो सकेगी.