Vishkanya Yog: विषकन्या योग किसी कन्या की कुंडली में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से होता है. ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की की कुंडली में यह योग होता है उसे जीवन में कई कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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विषयोग या विषकन्या योग: विषकन्या सुनकर टीवी सीरियल की याद आ सकती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये असल जिंदगी में भी होती है. ज्योतिषशास्त्र में इसको अशुभ माना गया है. यह योग किसी कन्या की कुंडली में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति से होता है. ऐसा माना जाता है कि जिस लड़की की कुंडली में यह योग होता है उसे जीवन में कई कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विषकन्या जैसा इसका नाम होता है उसी तरह यह योग जहरीला होता है. जीवन में जब भी सुख आने लगता है तो उसमें विष घोल देता है. मतलब जीवन में परेशानियां आने लगती है. ऐस्ट्रॉलजर आरती दहिया के मुताबिक यह विषकन्या योग कैसा बनता है और इस योग के होने पर कौन से उपाय करने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है.
अशुभ मांगलिक योग, कालसर्प योग, केमद्रुम, जैसे अशुभ योगों में विषकन्या योग भी शामिल होता है. सभी अशुभ योगों में से विषकन्या योग को सबसे ज्यादा अशुभ माना जाता है. इस योग का प्रभाव सबसे ज्यादा वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. इसलिए विवाह के समय इस योग की जांच जरूर करनी चाहिए जिससे शादी में कोई बाधा नहीं आए.
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किन स्थितियों में बनता है विषकन्या योग
-अश्लेषा या शतभिषा नक्षत्र में किसी कन्या का जन्म हो और साथ में उस दिन रविवार और द्वितिय तिथि भी हो तब विषकन्या योग बनता है.
-कृतिका, विशाखा, शतभिषा नक्षत्र के साथ रविवार और द्वितिया तिथि
-अश्लेषा, विशाखा, शतभिषा नक्षत्र हो साथ में मंगलवार और सप्तमी तिथि
-कन्या का जन्म अश्लेषा नक्षत्र शनिवार के दिन हो और साथ में द्वितीया तिथि
-शतभिषा नक्षत्र में मंगलवार के दिन द्वादशी तिथि
-शनिवार के दिन कृतिका नक्षत्र के साथ सप्तमी या द्वादशी तिथि
विषकन्या योग जीवन में बहुत नेगेटिविटी लेकर आता है. इस योग से पीड़ित कन्याओं के जीवन में अशुभ होता है. ऐसी कन्याओं के संपर्क में आने वाले लोगों के जीवन में अशुभ होने लगता है.
इस योग के उपाय
-वटसावित्री व्रत रखने से विषकन्या योग दूर होता है.
-ऐसा माना जाता है कि पीड़ित कन्याओं का विवाह होने से पहले उनका विवाह कुंभ, श्रीविष्णु, पीपल या बेर के पेड़ के साथ कराने से इस योग का प्रभाव कम हो जाता है.
-इस योग से छुटकारा पाने के लिए सर्वकल्याणकारी “विष्णुसहस्त्रनाम” का पाठ करना चाहिए.
-गुरु बृहस्पति की आराधना करने से भी विषकन्या योग में कमी आती है.