नई दिल्ली: दिल्ली में चल रहे हाल के MCD चुनावों में पार्षदों का चयन होना है. अगर आप दिल्ली के निवासी हैं तो आपको भी पार्षद चुनने के लिए वोट डालना होगा, लेकिन आखिर पार्षदों का काम क्या होता है, इसकी सटीक जानकारी शायद ही आपके पास हो. तो चलिए आज पार्षदों, उनके काम और योग्यता के बारे में विस्तार से आपको बताते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कौन होते हैं पार्षद?
किसी भी शहर के रख-रखाव व साफ-सफाई के लिए शहर को कई सारे छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा जाता है, जिसे मोहल्ला कहते हैं, इन मोहल्लों को आगे वार्डों में विभाजित किया जाता है. प्रत्येक वार्ड का एक प्रतिनिधि होता है जिनका चुनाव जनता करती है, चुने हुए प्रतिनिधि को ही पार्षद कहा जाता है. ये नगर निगम के दायरे में आते हैं. इनके ऊपर एक मेयर होता है, जो वार्डों की विकास की राशि स्वीकृत करता है. वो समय-समय पर वार्ड पार्षद की दी गई धनराशि से कराए गए विकास कार्य का जायजा भी लेता है. शहर के विकास की बागडोर मेयर के हाथ में होती है.


MCD ELECTION 2022: कितना है दिल्ली नगर निगम का एरिया, आपके लिए जानना क्यों है जरूरी? 


पार्षद के प्रमुख कार्य
पार्षद को सरकार द्वारा अपने वार्ड में विकास के लिए राशि आवंटित की जाती है. क्षेत्र में विकास कार्यों को करवाना ही पार्षद का प्रमुख काम होता है. पार्षद की जिम्मदारियों के अंतर्गत वार्ड की सड़कों, गलियों, नालियों की नियमित सफाई. सड़कों, गलियों आदि सार्वजनिक स्थानों पर बिजली की व्यवस्था. वार्ड की जनवितरण प्रणाली को दुरुस्त और उसकी निगरानी रखना. निर्मल पेय-जल की आपूर्ति उपलब्ध कराना आता है. दिल्ली में प्रत्येक वर्ष पार्षदों को विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ रुपए की निधि दी जाती है. खास बात यह भी है कि पार्षद अपने वार्ड में 60 फीट लंबी सड़क का निर्माण करा सकते है. इससे अधिक लंबी सड़क विधायक के कोटे से बनती है.


Delhi MCD Election की वोटिंग, काउंटिंग, उम्मीदवारों की लिस्ट,देखें पूरा शेड्यूल यहां


पार्षद की योग्यता
वैसे तो उम्मीदवार की योग्यता अलग-अलग राज्यों के ऊपर निर्भर करती है. पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए कैंडिडेट को जिस वार्ड से लड़ना है उसी वार्ड की वोटर लिस्ट में उसका नाम होना चाहिए. पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए और कैंडिडेट को कम से कम दसवीं पास होना चाहिए.


पार्षदों को कितना फंड
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि दिल्ली में पार्षदों को सालाना 1 करोड़ रुपये का फंड मिलता है. विपक्षी दल एमसीडी में हुए घोटालों का भी जिक्र करते दिखते हैं. इस बार के चुनाव में कूड़े के पहाड़ के अलावा नगर निगम में घोटाला भी बड़ा मुद्दा है. वहीं प्राइमरी स्कूल, डिंस्पेंसरी, प्रॉपर्टी टैक्स, टोल टैक्स, किसी बिल्डिंग को लेकर नक्शों को मंजूरी, स्ट्रीट लाइट, पार्कों का रखरखाव, निगम की सड़कों की साफ सफाई, जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना, श्मशान, कब्रिस्तान, रेस्टोरेंट के लिए लाइसेंस समेत कई ऐसे अधिकार हैं जो एमसीडी के दायरे में आते हैं.


पार्षदों के काम से नाखुश वार्ड 127, 129 के लोग, बोले- कचरा उठाने के मांगते हैं पैसे


पार्षद का वेतन
दिल्ली नगर निगम के पार्षद का वेतन 45000 रुपये महीना होता है. बाकि खर्चे अलग मिलते हैं. सबसे बड़े नगर निगम में से एक बृहन्मुंबई मुनिसिपल कॉर्पोरेशन के पार्षदों को 25000 रुपये वेतन मिलता है.