Delhi MCD Chunav की वोटिंग हो चुकी है. नतीजे कल यानी 7 को आएंगे. इससे पहले आए एग्जिट पोल्स में दिल्ली में आम आदमी पार्टी निगम चुनाव में बाजी मारती दिख रही है. सर्वे रिपोर्ट केजरीवाल भी गदगद हैं. सर्वे में लोगों ने बताया है कि उनकी पहली पसंद क्यों AAP है, और क्यों उन्होंने BJP को नकारा है.
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नई दिल्ली: दिल्ली ने जब-जब बदलाव का मूड बनाया तो उसकी आंधी में बड़े से बड़े धुरंधर पत्ते की तरह उड़ गए, वो चाहे साल 2015 विधानसभा हों जिसमें क्या कांग्रेस क्या भाजपा, सबका का सफाया हुआ या फिर 2022 के MCD चुनाव हों. AAP की झाड़ू से कोई बच नहीं पाया. बड़े सारे वादे-दावे किए गए, लोक-लुभावने वादे किए गए, किसी ने कहा कूड़े के पहाड़ हटाएंगे तो किसी ने कहा कि जहां झुग्गी है वहीं मकान देंगे. हालांकि जनता ने एक बार फिर साबित कर दिखाया है कि लोकतंत्र के लिए आखिर क्यों कहा जाता है कि जनता ही जनार्दन है.
दिल्ली एमसीडी चुनाव में एक ओर काम करने के वादे हो रहे थे तो दूसरी और 15 साल के काम गिनाने की जगह प्रचार हो रहा था कि सेवा ही विचार, नहीं खोखले प्रचार. चुनाव लोकल बॉडी के थे, लेकिन जिक्र मोदी से लेकर केजरीवाल तक का हो रहा था और हो भी क्यों ना एक को अपनी सत्ता बचानी जो थी और दूसरे को पहली बार अपनी सरकार बनानी थी. दिल्ली की शराब नीति को लेकर भी खूब हो-हल्ला किया गया, लेकिन दिल्ली की जनता ने माना कि शराब नीति में कोई गड़बड़ नहीं थी. हालांकि इन सबके बीच जनता ने सर्वे में ये बताया था कि उन पर किन मुद्दों का कितना असर हुआ, तो चलिए आपको बताते हैं दिल्ली निकाय चुनावों का परत दर परत कहानी.
क्या दिल्ली की शराब नीति घोटाले का शिकार हुई थी?
शराब नीति में घोटाले के सवाल पर दिल्ली की 37 प्रतिशत जनता ने कहा कि हां घोटाला हुआ था, जबकि 52 प्रतिशत जनता का मानना था कि शराब नीति में कोई घोटाला नहीं हुआ था, वहीं 11 प्रतिशत लोगों का मानना था कि घोटाला हुआ या नहीं इसके विषय में कुछ कह नहीं सकते हैं. इससे साफ हो रहा है कि आधी दिल्ली मानती है कि दिल्ली में शराब घोटाला सिर्फ भाजपा का शिगूफा था, केजरीवाल सरकार हो या फिर मनीष सिसोदिया, इसमें उनका कोई हाथ नहीं रहा.
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क्या आप की सरकार में सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार हुआ है?
सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के मामले में दिल्ली के 62 प्रतिशत लोगों का मानना था कि हां सुधार हुआ है, जबकि 34 प्रतिशत का जवाब था कि कोई सुधार नहीं हुआ है, वहीं 4 प्रतिशत का मानना है कि कुछ कह नहीं सकते हैं.
क्या सरकारी अस्पतालों की स्थिति में कोई सुधार हुआ है?
सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार के बारे में 38 प्रतिशत जनता की राय थी कि हां सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि 44 प्रतिशत लोगों का जवाब इससे उलट था. उनका मानना है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति में कोई भी बड़ा सुधार नहीं हुआ है, वहीं 18 प्रतिशत लोगों में अस्पतालों में सुधार को लेकर दुविधा व्याप्त रही.
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MCD चुनाव में किसने-किसे कितना वोट दिया?
एग्जिट पोल्स की माने तो AAP को 44 प्रतिशत पुरुषों ने तो 50 प्रतिशत महिलाओं ने वोट दिया. वहीं BJP को 42 प्रतिशत पुरुषों ने तो 32 प्रतिशत महिलाओं ने वोट दिया. 12 प्रतिशत पुरुष और 10 फीसदी महिलाओं ने कांग्रेस को अपनी पसंद की पार्टी चुनी. जबकि 2 प्रतिशत पुरुष और 8 प्रतिशत महिलाओं ने अन्य उम्मीदवारों पर अपना विश्वास दिखाया.
किन मुद्दों पर पड़े MCD चुनाव में वोट?
दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election Result) में 49 प्रतिशत लोगों ने कूड़े के मुद्दे पर वोट किया तो 18 फीसदी लोगों ने प्रदूषण को लेकर वोट डाले. 17 प्रतिशत लोगों ने पीने के पानी के मुद्दे पर वोट डाले तो सड़क के मुद्दे पर 12 प्रतिशत लोगों ने वोट ईवीएम का बटन दबाया. वहीं 4 प्रतिशत जनता ने स्ट्रीट लाइट्स को MCD चुनाव में अपना मुद्दा बनाया.
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किसके साथ युवा पीढ़ी?
18-25 वर्ष के युवाओं में 40 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी को तो 50 प्रतिशत लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया. 8 प्रतिशत युवाओं का वोट कांग्रेस के खाते में गया. 26-35 की उम्र के 40 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी को तो 48 प्रतिशत ने केजरीवाल की पार्टी पर भरोसा जताया. वहीं इस उम्र के 8 प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को चुना. 35-50 की उम्र के 35 प्रतिशत लोगों ने बीजेपी को वोट दिया जबकि 46 प्रतिशत ने AAP को चुना, वहीं 15 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया. 50 से ज्यादा की उम्र के 45 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद थी भाजपा वहीं 42 प्रतिशत ने आम आदमी पार्टी को चुना, जबकि 10 प्रतिशत लोगों की पहली पसंद कांग्रेस रही.
अगले विधान सभा चुनावों में किसे कितने फीसदी वोट मिलने के आसार?
37 प्रतिशत जनता का मानना था कि अगले विधान सभा चुनावों में वो BJP को वोट देंगे, वहीं 44 प्रतिशत ने कहा कि उनकी पहली पसंद AAP रहेगी जबकि 8 प्रतिशत ने माना कि वे कांग्रेस के पक्ष में जाएंगे.