अभिषेक सांख्यायन/नई दिल्ली: हर साल हम धरती पर बदलते पर्यावरण के कारण नई चुनौतियों का सामना करते हैं. जलवायु में गंभीर परिवर्तन हो रहे हैं. असमय बारिश, लम्बा सूखा, तूफान, हीट वेव, ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र के जलस्तर का बढ़ना, गर्म होते सागर दुनिया के लोगों के जीवन और आजीविका दोनों के लिए खतरा बने हुए हैं. जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट इस खतरे पर आगाह करती रही हैं.  


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गर्म होती दुनिया का सबसे बड़ा कारण कार्बन डाइऑक्साइड है. कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने का काम हमारे वन ही करते हैं. ऐसे में वनों और दुनिया का विकास अगर अलग-अलग राह पर चलें तो विनाश तय है. चेतावनियां मिलती रही हैं, लेकिन हम अभी भी सुधरे नहीं है. यहीं कारण है कि पिछले 35 साल में पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ के नारों के बावजूद वन क्षेत्र में महज 2.2 % की बढ़ोतरी हुई है.  


इस साल गेहूं के उत्पादन में आई कमी  
इस साल गेहूं का उत्पादन अनुमान के मुताबिक नहीं हुआ. कारण खोजने पर पता चला कि इस साल मार्च का महीना सबसे गर्म रहा था, जिसके कारण गेहूं का दाना आकार नहीं ले पाया. ऐसा नहीं है कि ये अचानक हुआ, साल 2010 की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन पर अंतर‑सरकारी पैनल (IPCC) ने चेतावनी दी थी कि गर्म होती दुनिया में एशिया के कुछ क्षेत्रों में गेहूं के उत्पादन पर फर्क आएगा.  


वनों का फैलना और सिकुड़ना  
वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (Forest Survey Reports) के अनुसार देश में वनों का क्षेत्रफल सिकुड़ता और फैलता रहा है. साल 1972-75 में वन का क्षेत्रफल 5,55,180 वर्ग किमी यानी 16.89 % था. वहीं साल 1980-82 में वन का क्षेत्रफल 463,470 वर्ग किमी यानी 14.10 % था. साल 1987 में वनों का क्षेत्रफल बढ़कर 6,42,041 वर्ग किमी यानी 19.52 % पहुंच गया. साल 2021 के सर्वे में वनों का क्षेत्रफल बढ़कर 7,13,789 वर्ग किमी यानी 21.71 % रहा. मगर हैरानी और चिंता की बात ये है कि पिछले 35 साल में वन क्षेत्रफल में महज 2.2 की वृद्धि हुई है.


भारत में जंगल   
वैश्विक वन संसाधन आकलन (GRFA 2020) की रिपोर्ट के अनुसार देश के करीब एक चौथाई हिस्से ( 24.3 %) पर वन हैं, जबकि भारत के वन सर्वे रिपोर्ट 2021 के मुताबिक ये आकंड़ा (21.71) प्रतिशत का है.  क्षेत्रफल के आधार पर भारत में दुनिया के 10 वां सबसे बड़ा वनक्षेत्र 72,160 वर्ग किमी है, लेकिन भारत में दुनिया के कुल 2 % वन हीं पाए जाते हैं. 


दुनिया में जंगल
वैश्विक वन संसाधन आकलन 2020 के अनुसार विश्व के आधे से अधिक 54 % वन केवल 5 देशों- रूसी संघ, ब्राजील, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में पाए जाते हैं. भारत का हिस्सा उसके क्षेत्रफल के मुकाबले काफी कम है.


1. रिपोर्ट के अनुसार रूस के पास दुनिया सबसे ज्यादा 20% जंगल है. रूस में वनों का क्षेत्रफल 8,15,312 हेक्टेयर है. जो कि रूस का 49.8% क्षेत्रफल है. 
2. ब्राजील की बात करें तो इसके पास दुनिया के 12% जंगल है. ब्राजील में वनों का क्षेत्रफल 4,96,620 हेक्टेयर है. ब्राजील के 59.4 % हिस्से में जंगल है. 
3. कनाडा में दुनिया का 9% जंगल है. कनाडा में वनों का क्षेत्रफल 3,46,928 हेक्टेयर है. कनाडा के 38.7% हिस्से में जंगल है.
4. अमेरिका में दुनिया का 8% जंगल है. यहां वनों का कुल क्षेत्रफल 3,09,795 हेक्टेयर है. देश के 33.9% हिस्से में जंगल है.
5. चीन में दुनिया का 5%  जंगल है. चीन में वनों का कुल क्षेत्रफल 2,19,978 हेक्टेयर है. चीन के 23.3% हिस्से में जंगल है.
6. ऑस्ट्रेलिया में दुनिया का 3 % जंगल है. ऑस्ट्रेलिया में वनों का कुल क्षेत्रफल 1,34,005 हेक्टेयर है. इसके 17.4% हिस्से में जंगल है.
7. कांगो में दुनिया के 3% जंगल है. कांगो में वनों का कुल क्षेत्रफल 1,26,155 हेक्टेयर है. इसके 55.6% हिस्से में जंगल है.
8. इंडोनेशिया में दुनिया के 2% जंगल हैं. इंडोनेशिया में वनों का कुल क्षेत्रफल 92,133 हेक्टेयर है. इंडोनेशिया के 49.1% हिस्से में जंगल है.
9. पेरु में दुनिया के 2% जंगल हैं. पेरु में वनों का कुल क्षेत्रफल 72,330 हेक्टेयर है. पेरु के 56.5% हिस्से में जंगल है. 
10. भारत में भी दुनिया के 2% जंगल हैं. यहां वनों का कुल क्षेत्रफल 72,160 हेक्टेयर है. यहां के 24.3% हिस्से में जंगल है.


6 साल में महज 0.37 फीसदी जंगल बढ़े  
वन सर्वेक्षण के अनुसार 2015 से 2021 की तुलना की जाए तो देश में वनों का विकास महज  0.37 % ही हो पाया है. देश 5 राज्यों के वन क्षेत्र में एक फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है. इसमें पहले नंबर पर केरल है जहां 5.18 प्रतिशत वन बढ़ गए. दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहां का वन क्षेत्र 3.29 % बढ़ गया. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश (1.33), कर्नाटक (1.20 %) और उड़ीसा (1.16%) में मामूली वृद्धि दर्ज किया गया.  


इन राज्यों में कम हो रहे है जंगल  
वन सर्वेक्षण के अनुसार 2015 से 2021 तक जहां एक और देश के वन क्षेत्र में पिछले 6 सालों में  मामूली वृद्धि हुई है. वहीं देश के कुछ हिस्सों में इसमे कमी देखी गई है. हालांकि इस सूची के ज्यादातर राज्य पूर्वोतर भारत से हैं, जहां पर्याप्त मात्रा में वन मौजूद हैं. लेकिन तेलंगाना एक मात्र बड़ा राज्य हैं, जहां पिछले 6 सालों में वन क्षेत्र कम हुआ है.  मिजोरम में सबसे ज्यादा -4.40 प्रतिशत वन क्षेत्रफल कम हुआ है, नागालैंड में वनों का क्षेत्रफल -4.31 प्रतिशत कम हुए हैं. मणिपुर में -1.77 प्रतिशत की दर से वन घटे हैं. अरुणाचल प्रदेश में वन -0.97 प्रतिशत की दर से घटे हैं. त्रिपुरा में -0.85 प्रतिशत की दर से वन घटे हैं. मेघालय में -0.76 प्रतिशत की दर से वन घटे हैं. पुदुचेरी में -0.42 प्रतिशत वन क्षेत्रफल कम हुआ है. तेलंगाना में वनों का क्षेत्रफल -0.3 प्रतिशत कम हुआ है. सिक्किम में भी वनों का क्षेत्रफल -0.23 प्रतिशत की दर से घटा है. अंडमान निकोबार में भी -0.09 प्रतिशत की दर से वन क्षेत्रफल घटा है.


इन राज्यों में देश के फेफड़े  
अमेजन के जंगलों को दुनिया के फेफड़ों की संज्ञा दी जाती है. वहीं देश के फेफड़े खोजें तो देश के 18 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 33 फीसदी वन हैं. देश के पूर्वोत्तर राज्यों का देश के वन क्षेत्र में सबसे ज्यादा योगदान है.  


वन सर्वेक्षण 2021 के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा वन लक्षद्वीप में है. यहां के 90.33 प्रतिशत हिस्से में जंगल है. दुसरे नंबर पर मिजोरम के 84.53 प्रतिशत हिस्से में जंगल है. अंडमान निकोबार में 81.75 प्रतिशत हिस्से में जंगल है. अरुणाचल प्रदेश में 79.33 प्रतिशत, मेघालय के 76 प्रतिशत, मणिपुर के 74.34 प्रतिशत, नगालैंड के 73.9 प्रतिशत और त्रिपुरा के 73.64  प्रतिशत हिस्से में वन हैं. इसके अलावा गोवा के 60.62 प्रतिशत, केरल के 54.7 प्रतिशत, सिक्किम के 47.08 प्रतिशत, उत्तराखंड के 45.44 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ के 41.21 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर के 39.15 प्रतिशत, दादरा नगर हवेली के 37.83 प्रतिशत, असम के 36.09 प्रतिशत और उड़ीसा के 33.5 प्रतिशत हिस्से में जंगल हैं.


इन राज्यों में 10 प्रतिशत से कम वन  
वहीं देश के 10 प्रतिशत से कम वन क्षेत्रों वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपनी विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के कारण लद्दाख (1.35%) पहले स्थान पर है. वहीं इसके बाद देश के प्रमुख कृषि राज्य पंजाब (3.63%) और हरियाणा (3.67%) का स्थान है. इस सूची में इसके बाद राजस्थान (4.87 %), उत्तर प्रदेश (6.15 %), गुजरात (7.61 %) और बिहार (7.84 %) का स्थान है.