Haryana News: खाद माफिया 'खाद' बेचने से नहीं आ रहे बाज, जानें ब्लैक मेकिंग के पीछे का कारण
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Haryana News: खाद माफिया 'खाद' बेचने से नहीं आ रहे बाज, जानें ब्लैक मेकिंग के पीछे का कारण

Haryana News: लगातार यमुनानगर में किसानों की खाद का प्लाईवुड फैक्ट्रियों में ग्लू के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. विभाग के चाक चौबंद पहरा होने के बाद भी धड़ल्ले से एग्रीकल्चर यूरिया का काला कारोबार चल रहा है. यमुनानगर के थर्मल पावर प्लांट के नजदीक ताजकपुर में औद्योगिक इकाईयों से घिरे इलाके में एक कमरे में भारी मात्रा में कृषि में उपयोग होने वाला यूरिया खाद की खाप मिली है.

Haryana News: खाद माफिया 'खाद' बेचने से नहीं आ रहे बाज, जानें ब्लैक मेकिंग के पीछे का कारण

Haryana News: लगातार यमुनानगर में किसानों की खाद का प्लाईवुड फैक्ट्रियों में ग्लू के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. विभाग के चाक चौबंद पहरा होने के बाद भी धड़ल्ले से एग्रीकल्चर यूरिया का काला कारोबार चल रहा है. यमुनानगर के थर्मल पावर प्लांट के नजदीक ताजकपुर में औद्योगिक इकाईयों से घिरे इलाके में एक कमरे में भारी मात्रा में कृषि में उपयोग होने वाला यूरिया खाद की खाप मिली है.

यह खाद ट्रक से उतारा जा रहा था जोकि औद्योगिक इकाइयों मे ग्लू केटल में सप्लाई होना था. पुलिस मौके पर पहुंची और करवाई शुरू कर दी है. एक तरफ जहां किसानों को अपनी धान की फसल में डालने के लिए यूरिया खाद नहीं मिल पा रहा, तो वहीं दूसरी तरफ प्लाईवुड फैक्ट्रियों में एग्रीकल्चर यूरिया की खपत होने से ब्लैक का काम फल-फूल रहा है, जिले में इसके लिए एक पूरा रैकेट काम कर रहा है.

जानें, एग्रीकल्चर यूरिया खाद ब्लैक मेकिंग के पीछे का कारण

डिलर्स को प्रति बैग मिलता है 268 रूपये

किसानों को बेचा जाता है 280 रूपये प्रति बैग

किसान को बेचने पर प्रति बैग की बचत होती है सिर्फ 12 रूपये

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यहीं खाद जब प्लाईवुड फैक्ट्री में ग्लू के लिए बेचा जाता है तो इसकी कीमत 500 रुपये हो जाती है यानि की डिलर्स को फैक्ट्री में बेचने पर मुनाफा 232 रुपये प्रति बैग मिलता है. अब किसानों से 1000 बैग बेचने पर मिलते है 12 हजार और प्लाईवुड में बेचने पर मुनाफा मिलता 2 लाख 32 हजार रुपये, तो वहीं प्लाईवुड फैक्ट्री मालिक ग्लू बनाने में टेक्निकल खाद का उपयोग करते है तो प्रति बैग की कीमत 1400 रुपये पड़ती है, इसलिए प्लाई फैक्ट्रियों में एग्रीकल्चर खाद 900 प्रति बैग सस्ता पड़ने की वजह से उपयोग किया जा रहा है.

इसलिए खाद माफिया यह कारोबार छोड़ने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि एक चक्कर में लाखों रुपये की बचत होती है  और इसी के चलते रात यमुनानगर के ताजाकपुर में लगभग एक हजार एग्रीकल्चर यूरिया खाद की खाप पकड़ी. वहीं इसकी 112 को सूचना दी गई थी कि बड़ी संख्या में किसानों को खाद औद्योगिक इस्तेमाल हेतु लाया गया है. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर ट्रक से उतरते हुए खाद को कब्जे में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है.

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बता दे कि यह हालात तब है जब दिसंबर 2022 से खाद के रैट नहीं लगे व खाद डिलर्स का खाद बंद हो गया, क्योंकि हरियाणा में सरकार ने खाद की डीलरशिप खत्म करके पैक्स में खाद की बिक्री शुरू कर दी. ऐसे में मुनाफा कूटने के लिए यूपी, पंजाब से खाद आना शुरू हो गया है. सदर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एक कमरे से सैकड़ों नीम कोटेड यूरिया   के बैग व 1 ट्रक कब्जे में लिया है. ट्रक के अंदर भी काफी मात्रा में यूरिया बरामद हुआ, जो कि कमरे में उतारा जा रहा था.

खाद माफिया यूरिया खाद का इस्तेमाल खेती में उपयोग करने की बजाए बड़ी मात्रा में प्लाईवुड फैक्ट्री में कर रहे  है.  किसान, जितना यूरिया इस्तेमाल करते हैं, इससे कई गुणा ज्यादा खाद प्लाईवुड में प्रयोग किया जाता है. अब देखना होगा कि कृषि विभाग व पुलिस इस गोदाम पर क्या कड़ी कार्यवाही करती है और कालाबाजारी करने वालों पर विभाग कैसे नकेल कस पाता है. क्योंकि विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी यूरिया की कालाबाजारी होती है और प्लाई बोर्ड फैक्ट्री में कृषि में उपयोग होने वाला यूरिया इस्तेमाल होता है जिससे ग्लू बनाया जाता है. प्लाई बोर्ड यूनिट टेक्निकल यूरिया के नाम पर कृषि में प्रयोग होने वाला यूरिया इस्तेमाल करते हैं और इतने कड़े नियमों व पहरे के बाद भी यह खेल जिला प्रशासन की नाक तले जारी है.

 (इनपुटः कुलवंत सिंह)

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