नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने विशेष तरह के ऐप और एक सॉफ्टवेयर की मदद से वॉट्सऐप (Whatsapp) को हैक कर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस मामले में नाइजीरियन नागरिक को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपी की पहचान चिमेलुम इमेनुअल एनिवेटालु उर्फ मॉरिस डेगरी (33) के रूप में हुई है.


मदद मांगने के नाम पर ठगी


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पुलिस ने आरोपी के पास से एक लैपटॉप, 15 मोबाइल फोन और अन्य सामान बरामद किया है. आरोपियों ने ठगी के लिए एक अनोखा तरीका निकाला था. वह वॉट्सऐप को हैक करने के बाद पीड़ित के मोबाइल की कॉन्टैक्ट लिस्ट में शामिल लोगों को अपना अकाउंट नंबर भेज मदद के नाम पर ठगी करते थे. 


इसके अलावा कई बार सोशल मीडिया पर दोस्त बनाकर तो कभी हर्बल सीड्स के नाम पर भी ठगी की जाती थी. इनके गैंग में कई लोग शामिल हैं. पुलिस की छापेमारी के वक्त वह फरार हो गए थे. पुलिस उनकी तलाश कर रही है. आरोपी मॉरिस 2018 से भारत में अवैध रूप से रह रहा था. जिस भारतीय के मकान में यह रह रहे थे, पुलिस ने उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.


कॉन्टैक्ट लिस्ट करते थे हैक


साइबर क्राइम यूनिट के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटजिक (आईएफएसओ) के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि पिछले दिनों दिल्ली के ही रहने वाले एक शख्स ने अपना वॉट्सऐप हैक होने की शिकायत साइबर क्राइम यूनिट से की थी. पीड़ित ने बताया कि किसी ने उसका वॉट्सऐप हैक करने के बाद उसके मिलने वालों को मैसेज भेज कर मदद के नाम पर रुपये मांगना शुरू कर दिए हैं.


पीड़ित ने बताया कि उसके मिलने वालों ने जब उसे कॉल कर परेशानी के बारे में पूछा तो उन्हें इसका पता चला. आरोपी ने वॉट्सऐप हैक करने के बाद पीड़ित की कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेंध लगाई. इसके बाद खुद को परेशान बताकर एसएमएस या वॉट्सऐप कर मदद मांगने लगा. 


शिकायत के बाद पुलिस ने फौरन मामला दर्ज किया और आरोपी की तलाश शुरू कर दी. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि ठगी की वारदात दिल्ली और बेंगलुरु से की जा रही है. एसीपी रमन लांबा और इंस्पेक्टर भानू प्रताप की टीम ने एक आरोपी को दिल्ली के मोहन गार्डन इलाके से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान आरोपी ने ठगी की बात कबूल कर ली.


ऐसे की जाती थी ठगी


पुलिस की पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि वह किसी को भी एसएमएस या वॉट्सऐप पर लिंक भेजते थे. जैसे ही कोई इस पर क्लिक करता था, उसका मोबाइल हैक हो जाता था. आरोपी विशेष तरह के सॉफ्टवेयर से उसके मोबाइल की कॉन्टैक्ट लिस्ट कॉपी कर उनके पास मदद का मैसेज भेज देता था. आरोपी खुद पीड़ित बनकर लोगों से मदद मांगकर अपना अकाउंट नंबर भी देता था. लोग आरोपी को पीड़ित समझकर उसकी मदद कर देते थे. 


दूसरी तरह की वारदात में आरोपी खुद ही हर्बल सीड्स की डिमांड पैदा कर खुद ही सीड्स बेचने वाले बन जाते थे. लोगों को उसमें निवेश के नाम पर ठगा जाता था. इसके अलावा सोशल मीडिया पर गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड बनकर भी लोगों के साथ ठगी की जाती था. आरोपी के गैंग में दस से बारह लोग शामिल हैं. ज्यादातर नाइजीरियन वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में टिके हुए हैं. अब इस केस में सभी के खिलाफ कार्रवाई हो रही है.


भारत में अवैध रूप से ठहरे


मॉरिस पिछले कई सालों से भारत में रह रहा था. आरोपी भारत में टूरिस्ट वीजा पर आया था लेकिन 2018 में वीजा खत्म होने के बाद भी आरोपी यहां अवैध रूप से रह रहा था. इसके गैंग के सदस्य उत्तम नगर और मोहन गार्डन इलाके में रह रहे थे.


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अब पुलिस ने ऐसे विदेशी नागरिकों की पड़ताल शुरू की है जिन मकान मालिकों ने वीजा खत्म होने के बाद भी आरोपियों को अपने घर पर रखा है. पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है. पुलिस ने मॉरिस के मकान मालिक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है.