नई दिल्‍ली : दिल्‍ली में तेजी से बढ़े प्रदूषण के स्‍तर पर अचानक पाकिस्तान की रूचि हो गई है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से आग्रह किया कि वे फसल के अवशेषों को जलाने से रोकने के कदम उठाएं. पाकिस्तान की पंजाब सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से अरविंद केजरीवाल के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा गया कि, "हमने (पाकिस्तान) में खूंटी जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और उम्मीद है कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं. ट्वीट में कहा गया है कि SMOG से निपटने के लिए हमारी कुछ माध्यम/ दीर्घकालिक कार्य योजना हैं". इसे लेकर एक लिंक भी साथ दिया गया है.


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इस ट्वीट में कहा गया है कि "पर्यावरण के खतरों ने लोगों को आगाह किया है. आइए हम इसका सामना करने के लिए तेजी से काम करते हैं". 


 



 


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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर से निपटने के तरीके के बारे में चर्चा करने के लिए पंजाब और हरियाणा में उनके समकक्षों के साथ बैठक की मांग की थी.


 



 


केजरीवाल ने हरियाणा एवं पंजाब के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्रों में कहा था कि पड़ोसी राज्यों की सरकारें किसानों को पराली जलाने के व्यवहार्य विकल्प मुहैया कराने में असफल रहीं, जिसके कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ा.


दिल्ली में वायु की गुणवत्ता इस मौसम में सबसे खराब रही है. पराली जलाने से पैदा हुए जहरीले धुएं और नमी के संयुक्त प्रभाव के कारण शहर 'गैस चैम्बर' में तब्दील हो गया.


तस्वीरों में देखिए दिल्ली पर छाई धुंध की चादर


केजरीवाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर कहा था, 'आप दिल्ली में वायु की खराब गुणवत्ता के बारे में जानते हैं. दिल्ली एक गैस चैम्बर बन गया है और मुझे वायु की खराब गुणवत्ता के प्रतिकूल प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए स्कूल बंद करने का आदेश देना पड़ा'. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाया जाना इस समय दिल्ली में वायु की खराब गुणवत्ता के मुख्य कारणों में से एक है.


केजरीवाल ने कहा, 'किसान असहाय हैं. आर्थिक रूप से कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं होने के कारण उन्हें पराली जलाने पर मजबूर होना पड़ता है'. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को व्यवहार्य समाधान मुहैया कराने में नाकाम रही है.