आज Lockdown के बाद शहरों से हुए लाखों लोगों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और इस दौरान सरकार की तरफ से एक चौकाने वाला खुलासा किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से दलील रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जिन मजदूरों ने पलायन किया है उनमें से 30 प्रतिशत के Corona Virus से संक्रमित होने की आशंका है. यानी पलायन करने वाले हर 10 में से 3 मरीज़ पर संक्रमण का शक है. हालांकि सरकार का दावा है कि अभी देश के गांवों में संक्रमण नहीं पहुंचा है लेकिन पलायन की वजह से इसकी आशंका बढ़ गई है. ये आंकड़ा बहुत डराने वाला है, क्योंकि 30 प्रतिशत तो छोड़िए अगर इन लाखों लोगों में से 3 प्रतिशत को भी संक्रमण हुआ तो ये महामारी देश के गांव गांव तक पहुंच सकती है.  और तब देश के लिए इस पर काबू पाना आसान नहीं होगा. 


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Corona Virus की वजह से पूरा भारत खतरे में है. 24 घंटे में 146 नए मामले आए हैं. वायरस संक्रमण के मामले 1400 के करीब हैं. और 35 लोगों की मौत हो चुकी है.  आज आपको भारत के उन 9 इलाकों के बारे में जान लेना चाहिए जो इस महामारी के नए Hot Spot यानी केंद्र बन गए हैं. इनमें दिल्ली का निजामुद्दीन, दिल्ली का ही दिलशाद गार्डन, लद्दाख, पंजाब का SBS नगर, राजस्थान का भीलवाड़ा, महाराष्ट्र का पुणे, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई, केरल का कसारागोड और केरल का पथन मित्था शामिल हैं. ऐसा नहीं है कि इन इलाकों में कोरोना के मरीज़ों की संख्या सबसे ज्यादा है, बल्कि ये वो इलाके हैं जहां वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पाना सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. 


सरकार को डर है कि इन इलाकों में ये संक्रमण समुदायों के बीच भी फैल सकता है. अगर ऐसा हुआ तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है.  इनमें से कुछ इलाकों में एक साथ कई मामले सामने आए हैं तो कुछ इलाकों में संसाधनों की कमी वजह से सरकार और प्रशासन को मुश्किलें हो रही हैं. सूत्रों के मुताबिक ये तमाम इलाके फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं और आने वाले दिनों में Corona Virus के नए केंद्र भी सामने आ सकते हैं . इसलिए इन इलाकों के लोगों पर इस संक्रमण को रोकने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. 


भारत में Lock Down का एक हफ्ता पूरा हो चुका है.  और अभी स्थिति नियंत्रण में लग रही है.  लेकिन आने वाले एक हफ्ते में ये तय हो जाएगा कि भारत इस महामारी के पंजे में फंस जाएगा या इसे मात दे देगा. उदाहरण के लिए चीन में एक हज़ार मामलों की पुष्टि होने के बाद उसके अगले हफ्ते ये संख्या बढ़कर 9 हज़ार हो गई, स्पेन में ये संख्या 7 हज़ार 817 हो गई और अमेरिका में हज़ार मामलों के बाद वाले हफ्ते में मरीज़ों की संख्या बढ़कर 7 हज़ार 300 से ज्यादा हो गई. 


जबकि स्वीडन में शुरुआती एक हज़ार मामलों के बाद दूसरे हफ्ते में ये आंकड़ा सिर्फ 1800, डेनमार्क में करीब 1600 और और जापान में 1500 तक ही पहुंच पाया. अगर भारत चीन, अमेरिका और स्पेन की राह पर चला तो भारत में अगले हफ्ते तक कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या 9 हज़ार के आसपास हो सकती है और अगर भारत ने स्वीडन, डेनमार्क और जापान से सबक लेकर नियमों का पालन किया तो करीब 1500 नए मरीज़ सामने आएंगे.  


यानी अगले एक हफ्ते में साफ हो जाएगा कि भारत तीन हफ्तों के Lock Down के ज़रिए..इस महामारी को हरा देगा या फिर आने वाले तीन महीनों तक भारत को Lock Down में रहना पड़ेगा. Corona Virus के संक्रमण से ज्यादा बड़ा खतरा है इससे होने वाली मौतें.  इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में मौतों की रफ्तार चीन के मुकाबले बहुत ज्यादा है. भारत ने कई देशों के मुकाबले समय रहते Lock Down की घोषणा कर दी, जबकि चीन ने भी ऐसा तब किया जब वहां 30 से ज्यादा मौतें हो चुकी थीं.  स्पेन और फ्रांस ने ये कदम 200 मौतों के बाद उठाया, जबकि इटली ने तो Lock Down की घोषणा 800 मौतों के बाद की. आप ग्राफ के जरिए समझ सकते हैं कि जिन देशों ने 500 मौतें हो जाने के बाद कड़े कदम उठाए वहां मौतों की संख्या हर दिन दोगुनी होती गई, जिन देशों ने लगभग 200 मौतों के बाद ऐसा किया वहां हर दो दिन में ये संख्या दो गुनी हो गई. 


Lock Down की शुरुआत जल्दी करने वाले देशों में हर तीन दिन में मौतों की संख्या दोगुनी हो गई और भारत और बेल्जियम जैसे जिन देशों ने शुरुआती 10 मौतों के बाद ही अहम फैसले ले लिए वहां मरने वालों की संख्या दोगुनी होने में 1 हफ्ते का समय लग रहा है.  जबकि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग और कड़े नियमों की वजह से दक्षिण कोरिया में तेजी से संक्रमण फैलने के बाद भी वहां मरने वालों की संख्या 200 से कम है. जबकि ऐसी ही कोशिशों की वजह से जापान में तो 100 से भी कम लोगों की मौत हुई है. 


भारत भी इस दिशा में अच्छा काम कर रहा है, भारत में कोरोना वायरस का आंकड़ा 15 दिन में 100 से 1 हज़ार पर पहुंचा है जबकि चीन में इसे 1 हज़ार का आंकड़ा छूने में सिर्फ 5 दिन लगे थे.  नए मामलों की रफ्तार को थामने के मामले में भारत जापान के बाद दूसरे नंबर पर है. जापान में ये आंकड़ा एक हज़ार तक पहुंचने में 29 दिन लग गए थे.