DNA with Sudhir Chaudhary: होटल-रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज के नाम पर हो रही वसूली, जानें आप कैसे कर सकते हैं विरोध
DNA on Service Charge Controversy: आपने रेस्टोरेंट-होटल में खाते समय सर्विस चार्ज अक्सर चुकाया होगा. क्या आपको पता है कि होटल-रेस्टोरेंट वाले इस सर्विस चार्ज को आपकी मर्जी के बिना जबरदस्ती वसूल करते हैं.
Service Charge Controversy: आज हम आपको सर्विस चार्ज (Service Charge) के उस चक्रव्यूह के बारे में बताते हैं, जिसे ग्राहकों को लूटने के लिए बनाया गया है. भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने कहा है कि Hotels और Restaurants में ग्राहकों की इच्छा के खिलाफ उनसे सर्विस चार्ज नहीं वसूला जा सकता. इसके लिए National Restaurant Association of India यानी NRAI को भी निर्देश दिए गए हैं. उससे कहा गया है कि अगर लोगों से पूछे बिना उनके बिल में सर्विस चार्ज लगाया जाता है तो ये गैर कानूनी होगा. इसके खिलाफ आप उपभोक्ता मंत्रालय और अदालत भी जा सकते हैं.
सर्विस चार्ज सरकार की जेब में नहीं जाता
हमारे देश के लोग Hotels और Restaurants में खाना खाने पर हर महीने औसतन ढाई हजार रुपये खर्च करते हैं. सिर्फ बेंगलूरु शहर की बात करें तो वहां साढ़े तीन हजार रुपये, मुम्बई में तीन हजार रुपये और दिल्ली में हर व्यक्ति Restaurants में खाना खाने पर हर महीने औसतन डेढ़ हजार रुपये खर्च करता है. इस दौरान खाने का जो बिल आप चुकाते हैं, उसमें एक बड़ा हिस्सा सर्विस चार्ज के रूप में आपसे वसूला जाता है. आप भी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते. आपको लगता है कि ये सर्विस चार्ज एक तरह का टैक्स है, जो सरकार के पास जाता है, जबकि ऐसा नहीं है.
असल में आप सर्विस चार्ज (Service Charge) को आज के जमाने का लगान भी कह सकते हैं, जो बड़ी चालाकी से आपसे वसूला जाता है. सर्विस चार्ज का मतलब होता है किसी सेवा के बदले में दिया गया शुल्क. यानी अगर आपने कोई सेवा ली है तो उस पर आपसे जो पैसा लिया जाएगा, उसे सर्विस चार्ज कहेंगे. हिंदी में इसे सेवा शुल्क भी कहते हैं.
देशभर में करीब 70 लाख रेस्टोरेंट और 53 हजार होटल
इस समय भारत के Organised Sector यानी संगठित क्षेत्र में 53 हजार Hotels और 70 लाख से ज्यादा Restaurants हैं. इनमें से 90 प्रतिशत Hotels और Restaurants में ग्राहकों से सर्विस चार्ज जरूर लिया जाता है. जबकि सर्विस चार्ज देने का फैसला सरकार ने लोगों को छोड़ा हुआ है.
सर्विस चार्ज देना है या नहीं, भारत सरकार ने इसका अधिकार सिर्फ ग्राहकों को दिया है. और Hotels और Restaurants में आपसे जबरदस्ती या आपकी मर्जी के खिलाफ सर्विस चार्ज (Service Charge) नहीं लिया जा सकता. अगर ऐसा किया जाता है तो लोग इसका विरोध कर सकते हैं. इसके अलावा किसी व्यक्ति को लगता है कि वो Restaurant को सर्विस चार्ज नहीं देना चाहता तो उसके पास ये अधिकार है कि वो इसे अपने बिल से हटवा भी सकता है.
20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज वसूलते हैं रेस्टोरेंट मालिक
अभी ज्यादातर Hotels और Restaurants में बिल के Total Amount पर 5 से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज लगाया जाता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए, आप किसी Restaurant में अपने परिवार के साथ खाना खाने गए और वहां आपका बिल दो हज़ार रुपये आया है और Restaurant इस पर अतिरिक्त 20 प्रतिशत सर्विज चार्ज लगाता है तो आपका बिल दो हजार 400 रुपये हो जाएगा. इसके अलावा आपके बिल का जो Total Amount होगा, उस पर पांच प्रतिशत GST अलग से लगेगा. जिसमें ढाई प्रतिशत टैक्स केन्द्र सरकार को जाएगा और ढाई प्रतिशत राज्य सरकार को. इसमें Service टैक्स भी शामिल होता है. इस हिसाब से आपका कुल बिल ढाई हजार रुपये हो जाएगा. यानी आपने खाना खाया दो हजार रुपये का है और बिल आपको देना पड़ेगा ढाई हज़ार रुपये.
यहां बड़ी समस्या ये है कि ज्यादातर लोग बिल में सर्विस चार्ज (Service Charge) लगाने का कभी विरोध नहीं करते. उन्हें लगता है कि सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स एक ही है. जबकि ऐसा नहीं है. सर्विस टैक्स, वो टैक्स है, जो आप कोई सेवा लेने के लिए सरकार को चुकाते हैं जबकि सर्विस चार्ज का पैसा सरकार के पास नहीं जाता बल्कि ये पैसा सीधे Hotels और Restaurants की जेब में जाता है, जो ये दावा करते हैं कि सर्विस चार्ज के रूप में मिलने वाला पैसा.. वो अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए देते हैं. यानी ये पैसा Restaurants के कर्मचारियों में बंट जाता है.
होटल-रेस्टोरेंट मालिकों की जेब में जाता है सर्विस चार्ज
हमारे देश में पहले सर्विस चार्ज की व्यवस्था नहीं थी बल्कि इसकी जगह टिप देने की व्यवस्था होती थी. आपको याद होगा, पहले जब लोग खाना खाने के लिए बाहर जाते थे तो वो बिल के साथ अलग से कुछ पैसा Waiters को टिप के रूप में दे देते थे. लेकिन अब हो क्या रहा है कि बहुत सारे लोग सर्विस चार्ज के रूप में भी टिप दे देते हैं और अलग से भी अपनी खुशी से टिप दे आते हैं. कुल मिला कर बाहर खाना खाना आपके लिए महंगा साबित होता है.
हालांकि, यहां Hotels और Restaurants मालिकों का तर्क ये है कि पहले टिप सिर्फ Waiters को मिलती थी. बाकी कर्मचारी, जैसे खाने पकाने वाले Chef, सफाईकर्मी और दूसरे लोगों को कुछ हासिल नहीं होता था. लेकिन सर्विस चार्ज लेने से अब सभी कर्मचारियों को उनका हिस्सा मिल जाता है.
हालांकि उपभोक्ता मंत्रालय इस तर्क को सही नहीं मानता. असल में आप जब किसी Hotel और Restaurant में खाना खाने जाते हैं तो वहां पहले से हर चीज आपको बहुत महंगी दी जाती है. अगर आप किसी अच्छे Hotel में खाना खाते हैं तो वहां खाने की कीमत, दूसरे Restaurants से औसतन 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा होती है. क्योंकि बिल का भी अपना एक बिजनेस मॉडल होता है. इसमें जिस बिल्डिंग में Restaurant है, उसका किराया, बिजली और दूसरे खर्च, कर्मचारियों की सैलरी और जो आप खाना ऑर्डर करते हैं वो सब जोड़ कर एक Cost निकाली जाती है और उस हिसाब से हर डिश की कीमत तय की जाती है. यानी आप पहले से उस खाने के लिए ज्यादा पैसा दे रहे होते हैं और फिर ऊपर से आपकी मर्जी के खिलाफ बिल में सर्विस चार्ज भी अलग से जोड़ दिया जाता है.
ग्राहक से बिना पूछे वसूला जाता है सर्विस चार्ज
पहले जब लोग किसी अच्छी दुकान से सामान खरीदने के लिए जाते थे और वहां उनसे किसी चीज की ज्यादा कीमत मांग ली जाती थी तो लोग यही कहते थे कि क्या दुकान का सारा खर्च वो उन्हीं से निकाल लेंगे. दुकानदार कहते थे कि इतने में तो मुझे भी नहीं पड़ता. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब Hotels और Restaurants में आपसे पूछे बिना सर्विस चार्ज (Service Charge) वसूल लिया जाता है और आपको इसके बारे में पता भी नहीं चलता.
लोगों को नहीं है अपने अधिकारों की जानकारी
हालांकि कई देशों में इसे रोकने के लिए नियम और कानून भी बनाए गए हैं. दुबई में केवल वही Restaurants ग्राहकों से सर्विस चार्ज ले सकते हैं, जो Restaurants Hotels में होते हैं. ये सर्विस चार्ज भी वहां 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता. जबकि हमारे देश में लोगों से पांच से 20 प्रतिशत तक सर्विस चार्ज वसूला जाता है. इसी तरह Hungary, Czech republic और Spain जैसे देशों में भी ग्राहकों की अनुमति के बिना उनसे सर्विस चार्ज (Service Charge) नहीं वसूला जा सकता. जबकि फ्रांस में सर्विस चार्ज को लेकर कानून बनाया गया है, जो ये सुनिश्चित करता है कि सर्विस चार्ज के रूप में जो पैसा होटेल और Restaurants को मिलता है, वो उसे अपने कर्मचारियों में ईमानदारी से बांट दें. जबकि भारत में सर्विस चार्ज को लेकर किसी तरह का कोई कानून नहीं है. बड़ी बात ये है कि लोग भी इसे लेकर अपने अधिकार नहीं जानते.