Politics Over Bihar Flood: बिहार में बीते कई दिनों से तेज बारिश और नेपाल के बांध से पानी छोड़े जाने से आई बाढ़ पर सियासत भी तेज हो गई है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को साल 2008 में बिहार में आई बाढ़ के दौरान लालू यादव के आग्रह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बिहार आने की याद दिलाकर कई सवाल किए. तेजस्वी यादव ने लिखा कि, प्रधानमंत्री जी, क्या आपको ज्ञात है कि बिहार भारत में है?


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तेजस्वी ने लिखा- 2008 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए


तेजस्वी ने पोस्ट में आगे लिखा, साल 2008 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए. तब केंद्र में UPA की सरकार थी. कांग्रेस के बाद केंद्र में दूसरी सबसे बड़ी और शक्तिशाली पार्टी राजद और उनके नेता केंद्रीय रेल मंत्री आदरणीय लालू प्रसाद के आग्रह पर प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर बिहार आए थे.


जितना नीतीश सरकार ने मांगा UPA सरकार ने उससे अधिक दिया


तेजस्वी ने लिखा, लालू जी ने सकारात्मक राजनीति का अकल्पनीय व अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री को बाढ़ की भयावह स्थिति से अवगत करा इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराया तथा उस दौर में यानि आज से 15 साल पूर्व केंद्र से तत्काल 1000 करोड़ की विशेष सहायता राशि बिहार को दिलाई. हां जी केवल बाढ़ के लिए 1000 करोड़. NDA की नीतीश सरकार ने केंद्र की UPA सरकार से एक लाख टन अनाज की मांग की थी, लेकिन केंद्र की UPA सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद एवं राहत के लिए एक लाख 25 हज़ार टन अनाज बिहार को दिया. जितना नीतीश सरकार ने मांगा उससे अधिक बिहार को दिया.


नीतीश कुमार ने 2010 के चुनाव में बांटा बाढ़ राहत का अनाज


तेजस्वी ने आगे लिखा, नीतीश सरकार ने उसी अनाज को बचाकर रखा और 2010 के चुनावों से पूर्व गरीब जनता में UPA सरकार का दिया हुआ अनाज यह कर बांटा कि नीतीश सरकार यह अनाज दे रही है तथा चुनावों में इसका फायदा उठाया. केंद्र और बिहार की NDA सरकारें उत्तर बिहार के लोगों की जान और माल की कीमत बस चंद किलों अनाज से आंकती है. बारम्बार तटबंध और बांध क्यों टूटते है इसका कारण भी सरकार को बताना होगा?


लालू यादव ने तब बाढ़ पीड़ितों को दिलाई 90 करोड़ की मदद


राजद नेता ने आगे लिखा, उस वक़्त तत्कालीन रेल मंत्री लालू जी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुफ्त रेल चलायी तथा साथ ही 90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई. उन्होंने एक लाख साड़ी-धोती बंटवाई. कोसी क्षेत्र में रेलवे प्लेटफ़ार्म पर रेल के डिब्बों में बाढ़ राहत शिविर लगवाए. लालू जी ने अपने एक महीने की सैलरी, KBC में जीते हुए एक करोड़ रुपए, रेल मंत्रालय के सभी कर्मचारियों का एक दिन की सैलरी, IRCTC रेलवे ईस्ट जोन, वेस्ट जोन इत्यादि से भी सहायता राशि बिहार को दी.


लालू यादव की मेहनत और चेहरा नीतीश कुमार ने चमकाया


बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीने के पानी की कमी को देखते हुए लालू जी 20 हज़ार लीटर की क्षमता वाले 25 रेलवे टैंकर वहां भेजने के साथ साथ रेलवे की ओर से रेल नीर के पानी की एक लाख बोतलें तुरंत बिहार भेजी थी. उस दौर में लालू जी के प्रयासों से सब सहायता UPA सरकार ने की थी, लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नीतीश कुमार ने अपने नाम से किया. 2004 से 2009 तक लालू जी में बिहार को 1 लाख 44 हज़ार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था, लेकिन उससे चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चमकाया.


तब UPA के बिहार से 29 सांसद थे, अब NDA के 30 सांसद 


तेजस्वी यादव ने सवाल उठाते हुए लिखा, उस वक़्त UPA के बिहार से 29 सांसद थे जबकि अब NDA के 30 सांसद है. NDA के 30 सांसद, बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र में बिहार से NDA के 7 केंद्रीय मंत्री कितने बेबस, लाचार और असहाय है कि इनके सहारे चल रही केंद्र सरकार से बिहार की विनाशकारी बाढ़ को ना आपदा घोषित करा सकते है और ना ही विशेष सहायता राशि की मांग कर सकते हैं.


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नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी से मिलने में हिचकते क्यों है?


तेजस्वी ने सियासी हमला बोलते हुए लिखा कि आज बीजेपी के किसी भी केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री को बिहार नज़र नहीं आ रहा है? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने एवं सहायता राशि की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से क्यों नहीं मिलते जबकि बिहार के लाखों लोग एवं आधे से अधिक जिले बाढ़ से प्रभावित हैं? नीतीश कुमार जी प्रधानमंत्री से मिलने में हिचकते क्यों है?


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