कोलकाता: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने सोमवार को कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि भारत में जब भी लोकसभा चुनाव होने वाले होते हैं, तो असली मुद्दे मुख्यधारा से गायब हो जाते हैं. अमर्त्य सेन ने सवाल उठाते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण और रजस्वला महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने जैसे मुद्दे क्या देश के मुख्य मुद्दे होने चाहिए. 


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अमर्त्य सेन ने कहा कि भारतीयों ने असमानता और अन्नाय पर अत्यधिक धैर्य दिखाने की वजह से काफी कुछ सहा है. उन्होंने लोगों को इसके बजाय अधीर बनने की सलाह दी. सेन ने कहा कि वह अब किसी भी व्यक्ति को धैर्य रखने को नहीं कहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि अधीरता वह महत्वपूर्ण चीज है जो हमें अपने अंदर लानी होगी. भारत ने अत्यधिक धैर्य रखने की वजह से काफी कुछ सहा है. सेन ने एक सवाल के जवाब में यह कहा. दरअसल, उनसे यह पूछा गया था कि क्या वह अभिनेता नसीरूद्दीन शाह को लोकसभा चुनाव संपन्न होने तक धैर्य रखने की सलाह देंगे.


गौरतलब है कि शाह ने हाल ही में भीड़ हिंसा पर अपनी एक टिप्पणी से विवाद पैदा कर दिया था. उन्होंने एनजीओ पर कथित सरकारी कार्रवाई के खिलाफ एमनेस्टी इंडिया के एक वीडियो में यह टिप्पणी की थी. सेन ने सोमवार को कहा कि वह इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि मीडिया असहिष्णुता के मुद्दे को अतीत की तुलना में कहीं अधिक निर्भिकता से उठा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि वह नालंदा विश्वविद्यालय का नाम बदले जाने की हिमायत करेंगे. वहां के वह चांसलर रह चुके हैं.  


(इनपुट भाषा से)