Manmohan Singh का पीएम Narendra Modi को पत्र, Corona से लड़ने के लिए दिए 5 अहम सुझाव
मनमोहन सिंह ने अपनी पत्र में कहा, `एक साल से अधिक समय से लोग कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं. इस समय लोग सोच में पड़े हैं कि उनका जीवन कब सामान्य हो पाएगा.`
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर वैक्सीनेशन अभियान को आगे बढ़ाने का आग्रह किया. इसके साथ ही सिंह ने यूरोपीय एजेंसियों या USFDA द्वारा मंजूर किए गए टीकों को बिना ट्रायल यूज की अनुमति देने समेत सरकार को पांच सुझाव दिए.
पारदर्शी फार्मूले पर काम करें केंद्र
मनमोहन सिंह ने पत्र में कहा, 'मेरे पास इस संबंध में कुछ सुझाव हैं. मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मैं रचनात्मक सहयोग (Creative Collaboration) की भावना से आपके विचार के लिए उन्हें आगे रख रहा हूं, जिसमें मैंने हमेशा विश्वास किया है और उन पर अमल किया है.' उन्होंने कहा कि सरकार को यह प्रमोट करना चाहिए कि विभिन्न वैक्सीन उत्पादकों को खुराकों के लिए क्या ठोस आदेश हैं और अगले 6 महीनों में वितरण के लिए कितने स्वीकार किए जाने हैं. सरकार को यह भी बताना चाहिए कि पारदर्शी फार्मूले के आधार पर राज्यों में एक्सपेक्टेड सप्लाई की डिलीवरी कैसे की जाएगी.
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10% वैक्सीन रिजर्व कर सकती है केंद्र
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार आपात जरूरतों के आधार पर वितरण के लिए 10 प्रतिशत रख सकती है. लेकिन इसके अलावा, राज्यों के पास संभावित उपलब्धता का स्पष्ट संकेत होना चाहिए, ताकि वे अपने हिसाब से वितरण की योजना बना सकें.'
45 साल से कम फ्रंट लाइन वर्कर्स को लगे टीका
मनमोहन सिंह ने कहा कि टीकाकरण में राज्यों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटेगरी को कुछ फ्लेक्सिबिलिटी दी जानी चाहिए, ताकि 45 वर्ष से कम आयु के होने पर भी टीका लगाया जा सके. सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों और मजबूत इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन की बदौलत भारत दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है. यह क्षमता काफी हद तक निजी क्षेत्र में है. सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के इस क्षण में, भारत सरकार को धन और अन्य रियायतें प्रदान करके अपनी विनिर्माण सुविधाओं का शीघ्रता से विस्तार करने के लिए वैक्सीन उत्पादकों का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए.
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लाइसेंस नियमों के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत
यह समय कानून में अनिवार्य लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने का है, ताकि कई कंपनियां एक लाइसेंस के तहत टीकों का उत्पादन कर सकें. चूंकि घरेलू आपूर्ति सीमित है, किसी भी टीका है कि यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी या यूएसएफडीए जैसे विश्वसनीय अधिकारियों द्वारा उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई है, तब घरेलू ब्रिजिंग टेस्ट पर जोर दिए बिना आयात करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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'हम अभूतपूर्व इमरजेंसी का सामना कर रहे हैं'
उन्होंने आगे कहा कि 'हम एक अभूतपूर्व आपातकाल का सामना कर रहे हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि यह छूट एक आपात स्थिति में जायज है. यह छूट सीमित अवधि के लिए हो सकती है, जिसके दौरान भारत में ब्रिजिंग टेस्ट पूरे किए जा सकते हैं. ऐसे टीकों के सभी उपभोक्ताओं को विधिवत आगाह (Duly Warned) किया जा सकता है कि इन टीकों को विदेशों में संबंधित प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी के आधार पर उपयोग के लिए अनुमति दी जा रही है.'
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