इस बार कोरोना संक्रमण से कई मरीजों का ब्रेन फंक्शन और नर्वस सिस्टम प्रभावित हो रहा है. लगातार इस तरह के केस आ रहे हैं जिसमें मरीज बेहोश हो जा रहा है. कई मरीजों के सोचने समझने की शक्ति कम हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि यदि मरीज की बोलते समय जुबान लड़खड़ा रही है या चलते समय कदम लड़खड़ा रहे हैं तो स्थिति गंभीर है.
कोरोना संक्रमण के दौरान छाती में दर्द को नजरअंदाज न करें. कोरोना फेफड़ों की म्यूकोसल लाइनिंग पर अटैक करता है. इसलिए छाती के इस हिस्से में मरीज को दर्द और जलन महसूस होने लगती है. ऐसी हालत खतरे से खाली नहीं है.
कोराना संक्रमित मरीज के लिए सबसे खतरनाक स्थिति मानी जाती है सांस लेने में तकलीफ. सांस में तकलीफ, छाती में दर्द या इंफेक्शन से खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन होने के नाते कोरोना वायरस हमारे 'अपर ट्रैक्ट' में हेल्दी सेल्स पर हमला करता है. इसके बाद मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. अगर सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
शरीर में ऑक्सीजन लेवल प्रभावित होने पर कई बार होंठ और चेहरा नीला पड़ जाता है. ऐसी हालत में हमारे टिशूज को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल में संपर्क करना चाहिए.
कोरोना संक्रमण के दौरान ऑक्सीजन लेवल लगातार चेक करते रहना चाहिए. कोरोना संक्रमण के चलते फेफड़ों के एयर बैग में फ्लूड भर जाता है और शरीर में ऑक्सीजन लेवल की कमी होने लग जाती है. ऐसा होने पर मरीज असहज महसूस करने लगता है. अगर जरा भी लारपवाही की तो जानलेवा हो सकती है यानी जैसे ही ऑक्सीजन लेवल कम हो तुरंत अस्पताल पहुंचे.
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