नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है. जहां एक तरह किसान कानूनों को रद्दे करने की मांग कर रहे हैं तो वहीं केंद्र सरकार इनमें जरूरत के हिसाब से बदलाव करते हुए बरकरार रखने पर अड़ी हुई है. ऐसे परिस्थितियों में शनिवार शाम हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर (Narendra Singh Tomar) के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे हैं.


2-3 दिनों में निकल सकता है किसान आंदोलन का हल


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कृषि मंत्री से मिलने के बाद सीएम खट्टर ने कहा, 'मेरा मानना है कि अगले 2-3 दिन में सरकार और किसानों में बात हो सकती है. किसानों के विरोध का समाधान चर्चा के माध्यम से निकलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे को जल्द हल किया जाना चाहिए.' मैं इस संबंध में जल्द ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) से भी मुलाकात करूंगा.


खट्टर ने पंजाब के किसानों से की अपील 


खट्टर ने आगे कहा, 'मैं पंजाब के किसानों से अपील करता हूं कि वे SYL (सतलुज यमुना लिंक) नहर मामले पर गंभीरता से विचार करें. हरियाणा के किसान सिंचाई की कमी से जूझ रहे हैं. मैंने इस मुद्दे को उठाया है. हम मांग करते हैं कि एसवाईएल नहर का निर्माण पूरा होना चाहिए.'



भारत बंद के दिन भी खट्टर ने कृषि मंत्री से की थी थी मुलाकात 


बताते चलें कि केंद्रीय कृषि मंत्री से सीएम खट्टर की ये दूसरी मुलाकात है. किसान आंदोलन के मद्देनजर पहली मुलाकात भारत बंद के दिन हुई थी. किसानों के तेवर आज भी तल्ख हैं. सरकार से एक राउंड की बातचीत हो चुकी है. लेकिन सभी बैठक बेनतीजा रही हैं. कृषि मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि वह किसानों से हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं. लेकिन आंदोलन का हंगामा हर रोज बढ़ता जा रहा है. क्योंकि देश विरोधी ताकतें (Anti National) किसानों को बहकाने का कोई मौका नहीं चूक रहीं.


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वहीं किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि किसानों को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और सरकार को जल्दबाजी. यानी न तो आंदोलन की जिद चलेगी और ना ही कानून लाने की जल्दबाजी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसान सड़कों को ब्लॉक करके इस तरीके से आंदोलन नहीं कर सकते. जबकि कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या वो कुछ दिनों के लिए इन कानूनों को रोक नहीं सकती? लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि संसद द्वारा पारित किए गए कानून को क्या सुप्रीम कोर्ट रोक सकता है?


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