आखिर किस फसल में शराब का छिड़काव कर रहे यहां के किसान? बढ़ रही उपज..कमा रहे मोटा मुनाफा
Farming Techniques: किसानों का साफ कहना है कि खेती में इस विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है. उनका कहना है कि यह तरीका फसल को बेहतर बनाता है और उत्पादकता में भी इजाफा करता है.
Alcohol in Agriculture: किसान भाई हमेशा ये सोचते हैं कि उनकी फसल की पैदावार बढ़े. ये अच्छा भी है. इसके लिए वे नए-नए प्रयोग की करते हैं. लेकिन इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में किसानों ने अनोखा प्रयोग कर डाला है. उन्होंने अपनी फसल की सुरक्षा और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया है. यहां के किसान पारंपरिक कीटनाशकों के साथ शराब का छिड़काव कर रहे हैं. उनका दावा है कि यह न केवल उनकी फसल को बेहतर बनाता है, बल्कि ठंड के मौसम में पाले और अन्य बीमारियों से भी बचाव करता है.
शराब से बढ़ रही है आलू की गुणवत्ता?
असल में यहां के शिकारपुर तहसील के बोहिच गांव में किसानों का कहना है कि शराब के इस्तेमाल से आलू का आकार बड़ा और रंग साफ रहता है. वे कीटनाशक दवाओं में थोड़ी मात्रा में शराब मिलाकर फसल पर छिड़काव करते हैं. किसानों का यह भी मानना है कि इस विधि से आलू की पैदावार में बढ़ोतरी होती है और सर्दियों में होने वाले रोगों का खतरा भी कम हो जाता है.
कई सालों से हो रहा है प्रयोग
गांव के किसान राम बाबू शर्मा ने बताया कि वे पिछले चार-पांच सालों से आलू की फसल में शराब का छिड़काव कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रति एकड़ खेत में करीब 200 एमएल शराब का उपयोग किया जाता है, और इसका कोई नुकसान नहीं है. यह फसल को पाले के दुष्प्रभाव से बचाने के साथ-साथ आलू को मोटा और स्वस्थ बनाता है.
अनुभव से मिला आत्मविश्वास
किसान कंचन कुमार शर्मा के अनुसार, शराब का छिड़काव फसल में सकारात्मक बदलाव लाता है. उन्होंने बताया कि वे पिछले सात-आठ सालों से आलू की खेती में इस विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है. उनका कहना है कि यह तरीका फसल को बेहतर बनाता है और उत्पादकता में भी इजाफा करता है.
किसानों की नई सोच ?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह तरीका पारंपरिक कृषि विधियों से अलग है और किसानों की नई सोच को दर्शाता है. जहां एक ओर वैज्ञानिक इस तरह के उपायों की पुष्टि के लिए अध्ययन की बात कर सकते हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों को अपने अनुभव पर पूरा भरोसा है. हालांकि इसकी कही भी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है.. किसान अपने अनुभव के आधार पर ऐसा कर रहे हैं. एजेंसी इनपुट Photo: AI