24 करोड़ मुसलमान... PM मोदी को खुला पैगाम, संभल मामले में फारूक अब्दुल्ला की एंट्री
Farooq Abdulla news: संसद सत्र के छठे दिन जम्मू-कश्मीर के बड़े नेता और मुख्यमंत्री उमर अबदुल्लाब के पिता फारुक अब्दुल्लाह (Farooq Abdulla) ने देश मुसलमानों की हालत बताने का दावा करते हुए कहा, `अब पहले जैसी बात नहीं है. फिजाओं में डर है और मुसलमान आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है.`
सैयद खालिद हुसैन, श्रीनगर: समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस (Congress) पार्टी के नेताओं के बाद मुस्लिमों से जुड़े धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षणों को लेकर जम्मू-कश्मीर के प्रमुख क्षेत्रीय दल और सत्ताधारी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया दी है. संभल की जामा मस्जिद के बाद बदांयू और अजमेर की दरगाह के सर्वेक्षण की मांगों का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. मैं भारत सरकार से ऐसी मांगों पर रोक लगाने के लिए कहूंगा'.
मुसलमानों को समंदर में नहीं फेक सकते: अबदुल्ला
संसद के शीतकालीन सत्र का छठा यानी सोमवार का दिन भी विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया. इस बीच देश के एक-एक मुसलमान की आवाज़ बनने का दावा करने वाले फारुक अबदुल्लाह ने कहा, '24 करोड़ मुसलमानों को समुद्र में नहीं फेंका जा सकता. केंद्र की मोदी सरकार को मुसलमानों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए. हमारे संविधान में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है. उन्हें यह याद रखना चाहिए कि अगर वे संविधान को नष्ट कर देंगे, तो भारत कहां रहेगा?'
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संभल मामले को लेकर पीएम मोदी को खुला पैगाम
JKNC चीफ डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, 'देश के मजहबों में नफरत पैदा की जा रही है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. मैं भारत सरकार से धार्मिक स्थलों के सर्वे की मांगों और अन्य चीजों को रोकने के लिए कहूंगा. मुसलमानों को आप समुद्र में नहीं फेंक सकते हैं. ऐसी चीजें बंद कीजिए. ताकि देश में अमन चैन का माहौल बरकरार रखा जा सके'. इस तरह संभल मामले को लेकर सपा और कांग्रेस के बाद एनसी चीफ फारुख अबदुल्लाह ने तमाम बातें कहते हुए मामले में एंट्री ली है.
अब्दुल्ला ने कहा, 'मैंने अल्लाह से मुसीबतों से छुटकारा पाने और भाईचारा बनाए रखने की दुआ की है. लेबनान में संघर्ष विराम का स्वागत है, लेकिन गाजा में जो कुछ जारी है वह खतरनाक है और उन्हें जल्द से जल्द संघर्ष विराम करना चाहिए. सुरक्षा परिषद के निर्देशों को लागू करके उन्हें मानवीय सहायता की अनुमति दी जानी चाहिए.'