नई दिल्ली: देशभर में होली की धूम है और हर कोई रंगों में सराबोर है तो ऐसे में भला गूगल क्यों पीछे रहे. होली के पावन पर्व पर गूगल भी रंगा नजर आया. गूगल ने डूडल बनाकर देशवासियों को होली की मुबारकबाद दी. देशभर में खासकर उत्तर भारत में शुक्रवार (2 मार्च) को होली बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसीलिए गूगल ने एक बेहद ही खूबसूरत डूडल बनाकर होली को और भी रंगीन बनाया. गूगल डूडल में रंगों से रंगे कई लोग ड्रम की बीट्स पर डांस करते नजर आ रहे हैं, जो कि होली की ही एक पहचान को दिखाता है. इसके साथ ही गूगल ने अपने डूडल के जरिए होली को 'हिन्दुओं का वसंत त्योहार' बताया है, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है. इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं.


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होली कब और क्यों मनाई गई, जानिए इससे जुड़ीं 5 पौराणिक कथाएं


भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली जिसे आम तौर पर लोग 'रंगो का त्योहार' भी कहते हैं, हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. देश के दूसरे त्योहारों की तरह होली को भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. ढोल की धुन और घरों के लाउड स्पीकरों पर बजते तेज संगीत के साथ एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकने का मजा देखते ही बनता है. होली के साथ कई प्राचीन पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं और हर कथा अपने आप में विशेष है. 


हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका
एक पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है. प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था. उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके. वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया. उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद जैसा भक्त पैदा हुआ. प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी. हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे, लेकिन प्रहलाद नहीं माना. 


होली के रंग हटाने के शानदार घरेलू नुस्खे, रंग का नामो-निशान भी नहीं दिखेगा


प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया. प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था. हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई. और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी. हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया. तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा.


भगवान श्रीकृष्ण और पूतना  
एक अन्य पौराणिक कथा है भगवान श्रीकृष्ण की जिसमें राक्षसी पूतना एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास आती है और उन्हें अपना जहरीला दूध पिला कर मारने की कोशिश की. दूध के साथ साथ बालक कृष्ण ने उसके प्राण भी ले लिए. कहा जाता है कि मृत्यु के पश्चात पूतना का शरीर लुप्त हो गया इसलिये ग्वालों ने उसका पुतला बना कर जला डाला. जिसके बाद से मथुरा होली का प्रमुख केन्द्र रहा है. होली का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है. वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है. होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है.