नई दिल्ली (रवींद्र कुमार) : 18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. तीन तलाक़ बिल एक बार फिर से इस सत्र में आएगा. लेकिन विपक्ष का रुख पहले जैसा ही है. विपक्ष को इस मुद्दे पर अपने पक्ष में करने के लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है. केंद्र सरकार इसे महिलाओं के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण बिल मानते हुए विपक्षी की तीन प्रमुख महिला नेताओं से इस मुद्दे पर सरकार के साथ आने की अपील कर रही है. केंद्र ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती से तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पारित कराने की अपील की है.


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इस विषय पर ज़ी न्यूज़ से खास बात करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये सवाल ना राजनीति का है, ना सियासत का, ना पूजा का है और ना ही धर्म का. ये सवाल है नारी न्याय, नारी सम्मान और नारी गरिमा का.


उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक विरोध से ऊपर उठकर इस देश की तीन महिला नेत्रियों से आग्रह करते हैं कि महिलाओं के न्याय के लिए वे सरकार के साथ आएं. उन्होंने कहा कि हमारी हजारों-लाखों बेटियां तीन तलाक की पीड़ित हैं. 


रविशंकर प्रसाद ने तीनों नेताओं से सवाल किया, 'जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी, लोकसभा से पारित होने के बाद भी महिलाएं बड़ी संख्या में सड़कों पर ये आती हैं, तब भी क्या आप खामोश रहेंगी? भारत और दुनिया में आपकी चर्चा होती है कि आप लोग भारत की जम्हूरियत की बड़ी नेत्री हैं.' उन्होंने कहा कि अगर 22 इस्लामिक मुल्कों में 3 तलाक को नियंत्रित किया गया, जिसमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मोरोको, ट्यूनीशिया जैसे देश हैं, तो भारत एक सेक्युलर देश होने के बाद भी इस मुद्दे पर पीछे क्यों है. 


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उन्होंने कहा, 'मैं सोनिया जी, ममता जी और मायावती जी आग्रह करता हूं कि राजनीति के गलियारे से बाहर निकालिए. मेरे साथ आप आगे मार्च करके उन बेटियों और बहनों के चेहरे पर मुश्कान देखिए जो तीन तलाक़ के डर के खौफ के साए में रहती हैं.' 


तीनों नेताओं से मुलाकात के सवाल पर कानून मंत्री ने कहा कि महिलाओं की भलाई के लिए उन्हें किसी भी नेता से मिलने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर वे मौके देंगी तो उनसे मुलाकात कर वह इस मामले में किसी भी संशय को लेकर उनसे चर्चा करेंगे.


इस विधेयक पर कुछ बातें साफ करते हुए उन्होंने कहा कि अगर तीन तलाक़ में तीन साल की सज़ा है तो नॉन बेलेबल (गैर जमानती) का मतलब है कि आपको थाने से जमानत नहीं मिलेगी, मजिस्ट्रेट से जमानत मिल ही सकती है. उन्होंने बताया कि तीन तलाक में बार-बार नॉन बेलेबल की कही जा रही है तो दहेज के मामले में भी हिन्दू सास हो या मुस्लिम सास, अगर केस है तो जेल जाना पड़ता है, पति को भी जेल जाना पड़ता है. घरेलू हिंसा एक्ट के तहत.


उन्होंने कहा कि अगर कोई मुसलमान अपराध करता है तो उस समय सवाल नहीं उठता कि उसकी पत्नी को खाना कैसे मिलेगा. ये सवाल तभी क्यों उठता है जब महिलाओं को इज़्ज़त देने की बात हो रही है, उनको गरिमा देने की बात हो रही है. 


विपक्ष के समर्थन नहीं मिलने पर तीन तलाक पर अध्यादेश लाने के सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दुनिया भरोसे पर चलती है. इसलिए हम भी नामउम्मीद नहीं हैं. उन्होंने कहा, मैं आग्रह कर रहा हूं कि सोनिया जी, बेंगलुरु में आपने जिस गर्व के साथ मायावती जी को गले लगाया, लोगों को अच्छा लगा. शायद आप तीनों एकसाथ कहें कि तीन तलाक़ की पीड़ित महिलाओं के साथ हम भी खड़े हैं, पूरे देश को भी ख़ुशी होगी और हम तो आपका बहुत-बहुत सम्मान करेंगे.