नई दिल्ली: इस समय भारत और चीन के बीच लद्दाख में 14270 फीट की ऊंचाई पर स्थित 134 किमी लंबी पेंगांग झील सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है. खबरों के मुताबिक फिंगर 4 पर एक-दूसरे को घूरते सैनिक अपनी जगहों पर वापस जाएंगे. लेकिन अभी सैनिक और कूटनीतिक चर्चाओं के कई दौर और चलेंगे. पेंगांग झील का विवाद पुराना है और चीन की नीयत ने उसे पेचीदा भी बना दिया है और सबसे सुंदर झील विवाद की जड़ बन गई है. 


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दरअसल, ब्रिटिश इंडिया को 19वीं शताब्दी में रूस के जार से खतरा था और किसी भी तरह तिब्बत तक पहुंच बनाना चाहते थे. चीन के क्विंग सम्राटों के साथ सिख जनरल जोरावर सिंह ने ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी और सीमा मानसरोवर के रास्ते में मुख्य पड़ाव तकलाकोट तक पहुंचाई. शहीदुल्ला में चौकी होती थी जहां डोगरा और सिख सैनिक तैनात होते थे. 1846 में सिखों को अंग्रेजों ने हराया, जम्मू राज्य बना और लद्दाख उसका हिस्सा हो गया लेकिन अग्रेजों ने लद्दाख पर वर्चस्व रखा. 1865 में सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारी डब्ल्यू एच जॉनसन ने एक सीमा निर्धारित की जो लंबे समय तक मान्य रही. इसमें काराकोरम और पेंगांग झील को कुदरती सीमा माना गया जो लद्दाख को तिब्बत से अलग करती थी. 


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1911 में चीन में क्रांति हुई और सन यात सेन के नेतृत्व में रिपब्लिक ऑफ चाइना बना. जॉनसन लाइन चलती रही यहां तक कि 1933 के चीन के ही मैप में लद्दाख और तिब्बत की सीमा कमोबेश यही रही. यानी अक्साई चिन का और पेंगांग झील दोनों भारत में ही रहे, सीमा वॉटरशेड सिद्धांत के मुताबिक श्योक नदी के ऊपर रही. लेकिन 1951 में कम्युनिस्ट चीन ने जो मैप छापा उसमें सीमा श्योक को पार कर गई और वो जब दक्षिण में आई तो पेंगांग का ज्यादातर हिस्सा भी चीन में चला गया.


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पेंगांग झील में पुरानी सीमा सिरिजाप के भी आगे चिपचाप नदी तक जाती थी. 1962 में इसकी सुरक्षा 1-8 गोरखा की एक कंपनी कर रही थी जो चीनी हमले में पूरी तरह खत्म हो गई. झील के दूसरे सिरे ठाकुंग से दूसरे सैनिकों ने चीनी टैंकों और भारी हथियारों से भारतीय सैनिकों को सिरिजाप, सिरिजाप 1 और सिरिजाप 2 में लड़ते और वीरगति पाते देखा. कंपनी कमांडर मेजर धनसिंह थापा सहित सारे सैनिकों के खेत रहने की खबर भेज दी गई. हालांकि मेजर थापा जीवित चीनियों के बंदी बने और भीषण अत्याचारों को सहन कर वापस भारत लौटे और परमवीर चक्र से सम्मानित किए गए. चीन ने अपनी सीमा वहां तक बढ़ा ली जिसे उसने अपने नए 1951 में छापे मैप में दिखाया था. युद्ध खत्म होने के बाद वो वापस सिरिजाप तक लौट गया लेकिन दावेदारी आगे तक की करता रहा. 


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सिरिजाप से आगे के इस इलाके से कई पहाड़ियां झील तक आती हैं जैसे किसी फैले हुए हाथ की उंगलियां. इसलिए बाद में भारत में इन्हें फिंगर 1 से शुरू कर फिंगर 8 तक का नाम दिया गया. यानी फिंगर 1 भारत की तरफ से सबसे नजदीक और फिंगर 8 सबसे दूर. 


चीन की बढ़ाई गई सीमा फिंगर 2 तक आती है और भारत अपनी पुरानी सीमा यानी फिंगर 8 तक दावा करता है. भारत की सड़क फिंगर 3 तक पक्की बनाई गई है और फिंगर 3 से 4 तक कच्ची. चीन ने कारगिल में उलझे भारत का फायदा उठाकर फिंगर 5 तक पक्की सड़क बना ली है. दोनों ही तरफ के सैनिक गश्त पर जाते हैं इस बार चीन ने फिंगर 4 पर ही भारतीय सैनिकों को रोकने की कोशिश की और विवाद भड़क गया. मई 5-6 को इसी जगह दोनों देशों के सैनिकों के बीच मारपीट हुई थी.


कूटनीतिक चर्चाओं के बीच सबसे बड़ा मुद्दा पेंगांग झील की यही फिंगर 4 है. भारत अगर चीन को आगे आने देता है तो वो यहीं नहीं रुकेगा अगली बार फिंगर 2 तक आएगा इसलिए पीछे हटना संभव नहीं.


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