Bombay HC Judgement: अगर किसी महिला को उसके ससुराल वाले घर की सफाई का सबूत वीडियो कॉल पर देने को कहते हैं तो यह प्रताड़ना है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति और उसके परिवार को राहत देने से इनकार कर दिया जिस पर पत्नी को प्रताड़ित करने का आरोप था. चेंबूर के निवासी ने अदालत से FIR रद्द करने और क्रूरता के लिए आपराधिक मुकदमे पर रोक की गुहार लगाई थी. पत्नी ने अपने पति, ससुर और तीन शादीशुदा ननदों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. 


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घर साफ हुआ या नहीं, वीडियो कॉल पर भाभी से मांगती थीं सबूत


महिला की शिकायत पर तिलक नगर थाने में FIR दर्ज हुई थी. इसके मुताबिक, दिसंबर 2021 में दोनों की शादी हुई थी. वैसे तो पति की तीनों बहनें शादीशुदा हैं और अपने-अपने ससुराल में रहती हैं, लेकिन भाई के घर में खूब दखलअंदाजी करती थीं. उन्होंने घर की नौकरानी को हटा दिया और भाभी से कहा कि सारा काम खुद करे. महिला को वीडियो कॉल पर तीनों को दिखाना पड़ता था कि उसने घर की सफाई कर ली है.


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भाई के घर पर क्या नाश्‍ता, लंच और डिनर बनेगा, यह भी शादीशुदा बहनें तय करती थीं. भाभी को मैसेज करके बता दिया जाता कि क्या बनाना है. इन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप बना रखा था जिस पर तीनों बहनें उसे लगातार डांटती रहीं और अपने भाई से शिकायत करती रहीं. महिला का पति उसके साथ दुर्व्यवहार करता था और झगड़ा करता था. वह महिला के चरित्र पर शक करता था और वैवाहिक संबंध बनाने से भी इनकार करता था.


घर से बाहर निकाला लेकिन रख लिए गहने


21 अक्टूबर, 2022 को पति की तीनों बहनें घर आईं, पत्नी को भला-बुरा सुनाया और उसके परिवारवालों से तोहफों की मांग की. सबने मिलकर महिला को घर से बाहर निकल दिया लेकिन गहने रख लिए. 


याचिकाकर्ताओं की ओर से, हाई कोर्ट में दावा किया गया कि शिकायत वैवाहिक विवाद से संबंधित है जिसे आपराधिक रंग दिया गया है. उन्होंने कहा कि धारा 498ए का दुरुपयोग किया जा रहा है. पत्नी के वकील प्रेरक चौधरी ने कहा कि उसके माता-पिता और चाचा ने उसकी शिकायत की पुष्टि की है. 


फैसला सुनाते हुए जजों ने कहा कि FIR से मालूम होता है कि शिकायतकर्ता महिला - एक नवविवाहित बहू - पांच याचिकाकर्ताओं की ताकत के खिलाफ खड़ी थी, जो छोटी-छोटी बातों पर उसके साथ दुर्व्यवहार और बुरा व्यवहार कर रहे थे. ऐसा लगता है कि उनका एकमात्र उद्देश्य उससे और उसके माता-पिता से पैसे ऐंठना था. यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि उसे वैवाहिक घर से बाहर निकालने के बाद भी, उन्होंने उसके 'स्त्रीधन' को सौंपने से इनकार कर दिया है जिसमें कीमती आभूषण और उसके सामान शामिल हैं.'


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बॉम्बे HC के जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस नीला गोखले ने 22 जुलाई के फैसले में कहा, 'ननदों पर लगे आरोप, जिसमें शिकायतकर्ता को वॉट्सऐप वीडियो कॉल पर उसके द्वारा साफ किए गए घर को दिखाने के लिए मजबूर करने का आरोप है, एक अजीब और परपीड़क तरीके से दुर्व्यवहार मालूम होता है.'


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, HC ने कहा कि पत्नी के पास यह आशंका जाहिर करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि 'याचिकाकर्ताओं के हाथों उसकी जान को खतरा था.' बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि 'एफआईआर में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया कथित अपराधों के होने का खुलासा करते हैं.'