कश्मीर से T20 वर्ल्ड कप का बड़ा कनेक्शन, इंग्लैंड को मिल रही कड़ी टक्कर; अब इस बात का इंतजार
Made in Kashmir willow bat used at T20 World Cup: कबीर ने दावा किया कि कठोर सामग्री और कम नमी के कारण कश्मीर विलो बैट, मेड इन इंग्लैड विलो बैट की तरह बेहतरीन हैं. इनकी पावर और क्वालिटी के कारण कश्मीर, इंग्लैंड के बाद क्रिकेट के बैट का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है.
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के फैसलों का असर धरातल में दिखने लगा है. पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) और पूर्वोत्तर में भी विकास की कई कहानियां दूसरों को प्रेरणा दे रही है. सफलता के इन्हीं पैमानों के बीच यहां बात कश्मीर (Kashmir) की जिसका इस बार के ICC T20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) से सीधा कनेक्शन है.
दरअसल कश्मीर में बन रहे विलो बैट (Made in Kashmir willow bat) का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा टी 20 विश्व कप जैसे मेगा इवेंट में किया जा रहा है. यह कश्मीर में बैट निर्माण से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है.
GR8 कंपनी का कमाल
T20 क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरुआत में जब ओमान (Oman) के खिलाड़ियों ने कश्मीर में निर्मित बैट का इस्तेमाल किया तो इसे बनाने वाली कंपनी GR8 के मालिक भावुक हो गए. एक न्यूज़ एजेंसी को उन्होंने विस्तार से अपनी कंपनी के लक्ष्य और एचीवमेंट की जानकारी दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब ओमान के खिलाड़ियों ने उनके बैट का इस्तेमाल किया और जीत हासिल की उसके बाद कंपनी के ओनर कबीर ने कहा कि यह सिर्फ एक भावनात्मक दिन नहीं था बल्कि कश्मीर में बैट निर्माण बिरादरी के लिए एक ऐतिहासिक दिन था.
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इंग्लैड को टक्कर
आपको बताते चलें कि कश्मीर के अलावा इंग्लैड (UK) में विलो लकड़ी से पेशेवर बैट बनाए जाते हैं. वहीं भारत की बात करें तो जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे के जौबेहरा-संगम खंड के किनारे करीब 100 परिवार और उनके साथ काम करने वाले स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों मिलकर इस कारोबार से सीधी तरह जुड़े हैं. इस कारोबार का सालाना टर्नओवर करीब 100 करोड़ रुपये है.
कबीर ने दावा किया कि कठोर सामग्री और कम नमी के कारण कश्मीर विलो बैट, मेड इन इंग्लैड विलो बैट की तरह बेहतरीन हैं. इनकी पावर और क्वालिटी के कारण कश्मीर, इंग्लैंड के बाद क्रिकेट के बैट का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. GR8 के मालिक कबीर ने कहा कि 1918 में अंग्रेज पहली बार कश्मीर में एक विलो का पेड़ लेकर आए और उसे घाटी में लगाया. कश्मीर में क्रिकेट के बल्ले
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हालांकि इससे पहले सर विवियन रिचर्ड्स , सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर जैसे क्रिकेट के दिग्गजों ने पहले कश्मीर विलो बैट का इस्तेमाल कर चुके हैं. कश्मीर में क्रिकेट बैट बनाने का इतिहास 19वीं शताब्दी का है जब पाकिस्तान के एक उद्योगपति अल्लाह बख्श ने विलो लॉग को फांक में बदलने के लिए सेलकोट में आगे की फिनिशिंग के लिए हलमुल्ला, बिजबेहरा में अपनी उप-इकाई की स्थापना की थी.