नई दिल्ली: देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi shankar Prasad) ने कोर्ट में जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर कहा कि जनहित याचिका लोगों के हित के लिए नहीं है. हारे हुए लोग कोर्ट जनहित याचिकाओं (PIL) का सहारा लेते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कोर्ट में PIL के जरिए राजनीति कर रहे हैं. ये सही नहीं है.


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ZEE NEWS के एडिटर-इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) से बातचीत में उन्होंने कहा, "हारे हुए हताश लोग कोर्ट के जरिये राजनीति करते हैं. हर बात पर जनहित याचिका दायर करना गलत है. जनहित याचिका लोगों के हित के लिए होनी चाहिए." 


अमूल इंडिया के कार्टून पर ट्विटर की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कानून मंत्री ने कहा, "इंटरनेट को कंट्रोल करना सही नहीं है. विचारों के प्रकटीकरण पर रोक नहीं लगना चाहिए. ट्विटर ने अमूल के ट्विटर को सस्पेंड करके अच्छा नहीं किया. वो बात अलग है कि उन्होंने फिर से अकाउंट को बहाल कर दिया. बाहरी कंपनियां विचारों पर रोक नहीं लगा सकतीं."


कानून मंत्री ने कहा, "पीएम मोदी ने सही वक्त पर लॉकडाउन का फैसला लिया था. लॉकडाउन में भारत रुका नहीं. कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में भारत के हालात दुनिया से बेहतर हैं. कोरोना के सामने पूरी दुनिया नतमस्तक, भारत में रिकवरी रेट 48% है. 37 करोड़ अकाउंट में सरकार ने पैसा पहुंचाया है." 


कोरोना काल में बदली राजनीति के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "कोरोना के बाद राजनीति बदल जाएगी. भीड़ अब राजनीति का पैमाना नहीं. भारत की जनता तकनीकी के महत्व को समझती है. हमने लोगों को तकनीकी को अपनाने के लिए प्रेरित किया है. कोरोना काल की दुनिया नई है."


प्रसाद ने कहा, "सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियां भारत का ख्याल रखें. सोशल मीडिया पर अराजकता और वैचारिक हिंसा बर्दाश्त नहीं. भारत में सभी विचारों का सम्मान है."


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