Artificial Intelligence In Defence: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में भारत ने अपनी प्रभावशाली शुरुआत की है. सेना, सरकारी संस्थान और निजी कंपनियां मिलकर सुरक्षा से लेकर रक्षा के क्षेत्र में भविष्य की तकनीकों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. सीमा पर चौकसी करने के लिए और दुश्मन पर झुंड बनाकर हमला करने वाले ड्रोन हैं. चेहरे की हल्की झलक मिलते ही पहचान करने वाले अत्याधुनिक सिस्टम हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करने वाले इन सभी उपकरणों का या तो उत्पादन शुरू होने वाला है या शुरू हो चुका है.


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राजनाथ सिंह ने क्या कहा?


सोमवार को दिल्ली के डिफेंस सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित तमाम तकनीक सेनाओं को सौंपी गई. इन सभी तकनीकों और प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी का खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निरीक्षण किया. इनमें खास थे साइलेंट-संतरी, त्रिशुल-रिमोट वैपन सिस्टम और मैंडेरिन ट्रांसलेटर डिवाइस. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आयोजित कार्यक्रम में साफ संकेत दिया कि इस मुद्दे पर किसी बड़े देश या समूह का आधिपत्य नहीं होगा, जैसा परमाणु शक्ति के मामले में हुआ है. भारत इस क्षेत्र में बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है.


आतंकवादियों की शामत


उन्होंने बताया कि डीआरडीओ की एक लैब ने चेहरा पहचानने के लिए ऐसा सिस्टम बनाया है, जिसपर अगर तस्वीर फीड कर दी गई है तो भेष बदलने के बाद भी अपराधी बचकर कहीं भाग नहीं सकता. चाहे जितनी भीड़ हो या छुपने के लिए नकली दाढ़ी या बालों का इस्तेमाल किया गया हो. इस सिस्टम को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या भीड़-भाड़ वाले बाजारों में आतंकवादियों या कानून से बचकर भागने वाले अपराधियों को तुरंत पहचानने के लिए किया जाएगा.


अब दुश्मन की खैर नहीं


राजनाथ सिंह ने कहा कि इसी तरह डीआरडीओ की एक लैब ने फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर या ड्रोन में लगने वाले कैमरे को विकसित किया है. ये कैमरा 50-60 किमी दूर से दुश्मन के लिए टैंक, गाड़ियों, जंगी जहाजों को पहचान कर उनके बारे में सारी जानकारियां तुरंत देता है वो भी अंधेरे, कोहरे जैसी रुकावटों के बीच. इसके बाद दुश्मन के हथियार या ठिकाने को तबाह करना बहुत आसान हो जाता है.


रोबोट करेगा सरहद की निगरानी 


सेना की ही एक लैब ने ऐसा रोबोट बनाया है जो सरहद की निगरानी करेगा. लोहे की रेलिंग पर चलने वाला ये छोटा सा रोबोट एक बार बैटरी चार्ज होने के बाद एक किमी के दायरे में लगातार 6 घंटे तक काम कर सकता है. ये घुसपैठ का पता लगाएगा, उसके बारे में कमांड सेंटर को सूचना देगा और जरूरत पड़ने पर अचूक निशाना लगाकर उसे मौत के घाट भी उतार देगा. ये रोबोट अंधेरे में भी थर्मल सेंसिंग के जरिए घुसपैठिए का सुराग ढूंढ़ सकता है.


झुंड बनाकर ड्रोन करेंगे हमला


एक निजी कंपनी ने सैकड़ों के झुंड में हमला करने वाले स्वार्म ड्रोन को विकसित किया है. भारत डायनामिक्स लिमिटेड इस ड्रोन में दो किस्म के बम और दो किस्म के रॉकेट लगा रहा है. ये ड्रोन पचास के झुंड में उड़ेंगे जिनमें से आधे कैमरे और बाकी हथियारों से लैस होंगे. कैमरे वाले ड्रोन पूरे इलाके का मुआयना करेंगे. दुश्मन की तैयारियों की टोह लेंगे और फिर खुद हमला करने का फैसला लेंगे. हमले की कमान भी किसी कैमरे वाले ड्रोन के हाथ में होगी जो जरूरत के मुताबिक तय इलाके में हमला करने की जिम्मेदारी बांटेगा.


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