Indian Railways: न कोई TTE, न टिकट, वर्षों से इस ट्रेन में मुफ्त में सफर कर रहे हैं लोग
Indian Railways Amazing Facts: 2011 में वित्तीय घाटे को देखते हुए इस बंद करने का फैसला किया गया हालांकि बाद में यह तय किया गया कि इस ट्रेन को विरासत परंपरा के रूप में देखा जाए आय के स्रोत के तौर पर नहीं.
Bhakra-Nangal Train: भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसे भारत की लाइफलाइन कहा जाता है. इसका लंबा इतिहास कई दिलचस्प किस्कों, कहानियों और तथ्यों से भरा हुआ है. आज हम आपको एक ऐसे ही अनोखे जानकारी के बारे में बताएंगे जिसे जानकार आप चौंक जाओगे. भारत में एक ऐसी ट्रेन है जिसमें चढ़ने के लिए कोई टिकट नहीं देना पड़ता, न ही इस ट्रेन में कोई टीटीई होता है. वर्षों से लोग इस ट्रेन में मुफ्त में ही सफर कर रहे है.
यह ट्रेन पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर भाखड़ा और नांगल के बीच चलती है. इसका नाम है भाखड़ा-नांगल ट्रेन और इसे भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड मैनेज करता है. ये ट्रेन सतलज नदी से होकर गुजरती है और शिवालिक पहाड़ियो से गुजरते हुए 13 किलोमीटर की दूरी को तय करती है.
भाखड़ा- नांगल बांध दुनियाभर में मशहूर है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से टूरिस्ट आते हैं. भाखड़ा- नांगल बांध देखने आने वाले सैलानी इस ट्रेन से फ्री में सफर करते हैं. इसमें कोई टीटीई नहीं रहता है.
1948 में हुई शुरुआत
1948 में शुरू हुई इस ट्रेन को पहले स्टीम इंजन से चलाया जाता था लेकिन बाद डीजल इंजन इसे खींचने लगा. पहले इस ट्रेन में 10 कोच होते थे लेकिन अब केवल 3 बोगियां होती हैं. इस ट्रेन की एक खास बात और है कि इसके कोच लकड़ी के बने हुए हैं. भाखड़ा नांगल बांध के निर्माण के वर्षों के दौरान इस ट्रेन का इस्तेमाल मजदूरों-मशीनों को ले जाने के लिए किए जाता है. बांध के उद्घटान के बाद यह ट्रैन पयर्टकों के लिए उपलब्ध करा दी गई.
2011 में बंद होने वाली थी यह ट्रेन
इस ट्रेन के रास्ते में तीन टल और कई स्टेशन पड़ते हैं रोजाना करीब 800 लोग इससे सफर करते हैं. 2011 में वित्तीय घाटे को देखते हुए इस बंद करने का फैसला किया गया था. हालांकि बाद में यह तय किया गया कि इस ट्रेन को विरासत परंपरा के रूप में देखा जाए आय के स्रोत के तौर पर नहीं.
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