DK Shivkumar CM candidateship is not easy: कर्नाटक में प्रचंड बहुमत से सत्ता पाने वाली कांग्रेस पार्टी से मुख्यमंत्री कौन बनेगा? ये कोई नहीं जानता लेकिन सूबे की सियासत समझने वाले जानते हैं कि पूर्व CM सिद्धारमैया और KPCC चीफ डीके शिवकुमार रेस में सबसे आगे हैं. सिद्धारमैया या शिवकुमार दोनों में किसी के भी पीछे हटने की संभावना कम है. दोनों के समर्थकों पोस्‍टर वार छेड़ चुके हैं जो उन्हें भावी मुख्यमंत्री बता रहे हैं. 60 साल के अरबपति डीके शिवकुमार को पार्टी के लिए ‘संकटमोचक' माना जाता है इसके बावजूद उनकी राह आसान नहीं है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शिवकुमार की राह में कई कांटे


कर्नाटक का किला फतह होते ही भावुक हुए शिवकुमार ने कहा, 'सोनिया और राहुल गांधी से जो वादा किया था, वो निभा दिया है. मैं ये बात कभी नहीं भूल सकता, जब सोनिया गांधी मुझसे मिलने के लिए जेल आई थीं. मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं गांधी परिवार और सिद्धारमैया समेत सभी नेताओं का धन्यवाद करता हूं.' उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. यानी शिवकुमार इमोशनल कार्ड खेल चुके हैं. डी के शिवकुमार की ये इच्छा लंबे समय से अधूरी है, जिसे वो इस बार पूरा कर लेना चाहते हैं. वो गांधी परिवार के करीबी हैं. कई खूबियों के बावजूद पार्टी उन्हें CM बनाने का रिस्क बड़ा सोच विचारकर ही लेगी.


'शिवकुमार पर कई आपराधिक मामले'


कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार को उखाड़ फेकने का दावा करने वाली कांग्रेस कतई नहीं चाहेगी कि करप्शन का कोई नया मामला उसके गले की फांस बने. कर्नाटक कांग्रेस के कैप्टेन शिवकुमार कनकपुरा से जीते हैं. उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है. वो पार्टी के फंड मैनेजर भी माने जाते हैं. आलाकमान उनपर आंख मूंदकर भरोसा करता है. पर इसी चुनाव में पेश किए गए हलफनामे में वो बता चुके हैं कि उन पर 19 आपराधिक मुकदमें पेंडिंग हैं. इनमें से 10 उनके पर्सनल और बाकी पार्टी द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों से जुड़े हैं. उनके खिलाफ 4 केस इनकम टैक्स की चोरी से भी जुड़े हैं. ईडी (ED) भी शिवकुमार पर 2 केस दर्ज कर चुकी है. जिसमें एक मामला रिश्वतखोरी से जुड़ा है. ईडी उनके खिलाफ 800 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. सीबीआई और लोकायुक्त भी उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही है. उन्हें साल 2019 में मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप में करीब दो महीने दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी बिताने पड़े थे.


पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि कांग्रेस अगर शिवकुमार पर दांव लगाती है, तो बीजेपी फौरन केंद्रीय एजेंसियों के जरिए उनपर शिकंजा कस सकती है और ऐसा हुआ तो कांग्रेस की क्लीन इमेज का कबाड़ा हो जाएगा, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस बीजेपी को हमलावर होने का कोई मौका नहीं देना चाहेगी.