अनुरा कुमारा (Anura Kumara Dissanayake) कोलंबो डिस्ट्रिक्ट सीट से सांसद हैं. 2019 का राष्ट्रपति चुनाव भी लड़ चुके हैं. पिछली बार ही कई विपक्षी पार्टियों को एकजुट करते हुए नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) मोर्चे का गठन किया था.
Trending Photos
World News in Hindi: श्रीलंका में 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट उत्पन्न होने पर देश की कमान संभालने वाले राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की राह चुनावों में इस बार बहुत आसान नहीं है. इस बार एक नए नेता की चर्चा श्रीलंका में चारों तरफ है. अनुरा कुमारा दिसानायके को राष्ट्रपति चुनाव की रेस में माना जा रहा है. भारत ने भी उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस साल जनवरी में उनको नई दिल्ली आमंत्रित किया था. अनुरा ने ही ये घोषणा करते हुए पिछले दिनों कहा कि जीतने की स्थिति में वो अडानी के प्रोजेक्ट को श्रीलंका से बाहर कर देंगे.
अनुरा कुमारा दिसानायके
मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता हैं. ये पार्टी भारत विरोधी मानी जाती है. जेवीपी ने पिछले दिनों वादा किया कि अगर वह 21 सितंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जीत जाती है तो श्रीलंका में अडानी समूह की पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द कर देगी. जेवीपी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने एक राजनीतिक वार्ता कार्यक्रम में कहा कि वे इस परियोजना को रद्द कर देंगे.
यह पूछने पर कि क्या यह परियोजना श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र की संप्रभुता के लिए खतरा है, दिसानायके ने कहा, ''हां. हम इसे निश्चित रूप से रद्द करेंगे, क्योंकि यह हमारी ऊर्जा संप्रभुता को खतरा पहुंचाता है.''
कांग्रेस-NC गठबंधन से कितना प्यार करता है पाकिस्तान? नतीजों से पहले की जीत की भविष्यवाणी!
अडानी समूह इस क्षेत्र में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा के विकास के लिए 20 साल के समझौते में 44 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करने वाला है. हालांकि समूह को इस परियोजना से जुड़े मुकदमों का सामना भी करना पड़ रहा है.
अनुरा कुमारा कोलंबो डिस्ट्रिक्ट सीट से सांसद हैं. 2019 का राष्ट्रपति चुनाव भी लड़ चुके हैं. पिछली बार ही कई विपक्षी पार्टियों को एकजुट करते हुए नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) मोर्चे का गठन किया था. ये भ्रष्टाचार के खिलाफ सोशल डेमोक्रेटिक और सोशलिस्ट पोलिटिकल अलायंस है. इस बार भी वह नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) मोर्चे से ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं.
जेवीपी
जेवीपी ने 1980 के दशक में भारत-श्रीलंका शांति समझौते के माध्यम से श्रीलंका के गृह युद्ध में भारत के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का विरोध किया था. जेवीपी ने इस समझौते का विरोध किया था जिसमें भारत ने श्रीलंका में लिट्टे से निपटने के लिए पीसकीपिंग फोर्स को भेजने का फैसला लिया था. जेवीपी ने खूनी भारत विरोधी विद्रोह का नेतृत्व किया था. ये पार्टी श्रीलंका में सिंहल वर्चस्व के मुद्दे पर केंद्रित है.
तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!