भुवनेश्वर : ओडिशा सरकार ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को 34 साल बाद रत्न भंडार खोलने की अनुमति दी. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा निरीक्षण किए जाने के लिए इसे खोलने की अनुमति दी गई है. रत्न भंडार में देवी-देवताओं के बेशकीमती जेवर और आभूषण रखे जाते हैं. इसका पिछली बार 1984 में निरीक्षण किया गया था. तब रत्न भंडार के सात में से सिर्फ तीन चैंबरों को खोला गया था. कोई नहीं जानता है कि अन्य चैंबरों में क्या रखा हुआ हैं.


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आभूषणों और अन्य बेशकीमती सामानों का आकलन नहीं किया जाएगा 
एसजेटीए के मुख्य प्रशासक पी के जेना ने कहा, ‘‘ राज्य सरकार के विधि विभाग ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण किये जाने के लिए रत्न भंडार को खोलने की सशर्त अनुमति दी है ताकि इसकी ढांचागत स्थिरता और सुरक्षा का आकलन किया जा सके.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों का अध्ययन करना बाकी है. 


जेना ने कहा‘‘ हम रत्न भंडार को खोलने से पहले निश्चित तौर पर एहतियाती कदम उठाएंगे.’’  उन्होंने इससे पहले स्पष्ट किया था कि रत्न भंडार के भीतर रखे आभूषणों और अन्य बेशकीमती सामानों का आकलन नहीं किया जाएगा और उसकी दीवारों और छतों का सिर्फ दृश्य निरीक्षण किया जाएगा.


26 मार्च को रत्न भंडार के बाहरी हिस्से का निरीक्षण किया गया था
इससे पहले सोमवार(26 मार्च) को ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण( एएसआई) ने रत्न भंडार के बाहरी हिस्से की स्थिति का निरीक्षण किया था. यह श्री जगन्नाथ मंदिर के आभूषणों का भंडार गृह है. एएसआई के संयुक्त निदेशक हिमाद्री बिहारी होता ने कहा कि एएसआई की एक टीम ने 12 वीं सदी के मंदिर के रत्न भंडार के बाहरी हिस्से की स्थिति का निरीक्षण किया. रत्न भंडार का निरीक्षण करने वाली पांच सदस्यीय टीम में वह शामिल हैं. होता ने कहा था कि बाहर से रत्न भंडार के ढांचे की स्थिति अच्छी प्रतीत होती है और आवश्यक अनुमति मिलने के बाद एएसआई अंदर से कमरे की स्थिति का निरीक्षण करेगा.


बता दें उच्च न्यायालय ने22 मार्च को एएसआई को निर्देश दिया था कि26 और27 मार्च को रत्न भंडार की जांच की जाए और अदालत को29 मार्च तक रिपोर्ट सौंपी जाए कि क्या किसी मरम्मत कार्य की आवश्यकता है अथवा नहीं.


(इनपुट - भाषा)