CM Omar Abdullah cabinet meeting : जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में उमर अब्दुल्ला केनेतृत्व में बनी नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक बाद ही सीएम उमर पर लोगों से विश्वासघात करने का आरोप लगा है. खासकर नई सरकार के मंत्रियों की पहली कैबिनेट बैठक में अनुच्छेद 370 और 35 ए की अनदेखी करने के बाद उमर अब्दुल्ला सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए तो प्रस्ताव पारित किया लेकिन अनुच्छेद 370 और 35 ए के बारे में किसी ने मुंह नहीं खोला.


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इंजीनियर ने लगाया आरोप


राशिद इंजीनियर ने कहा, 'NC के नेता बीजेपी से मिले हुए हैं'. जम्मू-कश्मीर में विपक्षी दलों द्वारा उमर अब्दुल्ला और उनके मंत्रियों की आलोचना की जा रही है कि उनका फोकस केवल और केवल राज्य के बहाली के दर्जे की बात पर है, उनकी अनुच्छेद 370 की वापसी कराने में दिलचस्पी नहीं है. कुछ राजनेताओं ने कहा कि उमर ने अनुच्छेद 370 और राज्य के दर्जे की बहाली के वादे पर चुनाव लड़ा था. उमर सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के मुद्दे को आसानी से नजरअंदाज कर दिया है. विपक्षी नेताओं ने इसे उमर की ओर से विश्वासघात बताया है क्योंकि उन्होंने अनुच्छेद 370 की बहाली पर वोट मांगे थे.


बारामुल्ला सांसद इंजीनियर राशिद ने कहा, 'यह जानकर बहुत दुख हुआ कि कैबिनेट ने केवल राज्य के दर्जे पर प्रस्ताव पारित किया है और अनुच्छेद 370 को नजरअंदाज किया है. यह उनकी पार्टी का एक सैद्धांतिक रुख रहा है और यह बहुत स्पष्ट है कि उमर अब्दुल्ला भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं. अगर अमित शाह और प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वे राज्य का दर्जा वापस लाएंगे तो वह केवल राज्य के दर्जे की बात क्यों कर रहे हैं और अपने मुख्य एजेंडे को नजरअंदाज कर रहे हैं? उन्होंने अनुच्छेद 370 पर चुनाव लड़ा और अब ऐसा लग रहा है कि एनसी और भाजपा के बीच खेल चल रहा है. उमर मुख्य मुद्दे से भाग रहे हैं.'


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PDP भी भड़की


पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी उमर अब्दुल्ला पर जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए वादे से पलटने के लिए कटाक्ष किया है. पीडीपी MLA पुलवामा वहीद पारा ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने पहले ही राज्य का दर्जा देने का वादा किया है, तो उस पर बात क्या करनी है, ऐसे में अगर बात होनी चाहिए अनुच्छेद 370 के मुद्दे की जिसे नजरअंदाज किया गया है. पारा ने कहा, '5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा के खिलाफ था और उमर अब्दुल्ला ने जो पहला प्रस्ताव पेश किया था, उसमें अनुच्छेद 370 के बारे में बात की गई थी और अब हमने पढ़ा है कि उन्होंने केवल राज्य के दर्जे पर ही प्रस्ताव पेश किया है, जिसका वादा प्रधानमंत्री पहले ही कर चुके हैं.


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भाजपा की जम्मू-कश्मीर यूनिट भी पूर्ण राज्य का दर्जा मांग करती है. लेकिन हमारे कश्मीरी भाई 370 की बहाली चाहते हैं और दुर्भाग्य से उमर ने यू टर्न ले लिया है और 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले को सामान्य घटनाक्रम मान लिया गया है. वहीं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद गनी लोन ने भी उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'उमर ये समझने में फेल रहे कि इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करना कितना जरूरी था. उनके 370 पर बात न करने से उस मुद्दे की धार कमजोर हो गई है.