Opposition meet Palestinian Leader: इजरायल और हमास के बीच 10 महीने से ज्यादा समय से युद्ध जारी है और इस दौरान फिलिस्तीनी शहर गाजा पूरी तरह तबाह हो चुका है. इस बीच भारत के विपक्षी दलों के एक ग्रुप ने फिलिस्तीन के नेता से मुलाकात की है और एक संयुक्त बयान जारी किया है. विपक्षी दलों ने फिलिस्तीनी लोगो के जघन्य नरसंहार की निंदा की और कहा कि भारत इसमें सहभागी नहीं हो सकता है. इसके साथ ही विपक्षी सांसदों ने भारत सरकार से इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति रोकने का आग्रह किया. दलअसल, दिल्ली में सोमवार को फिलिस्तीनी नेता मोहम्मद मकरम बलावी से विपक्षी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की. इसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं शामिल थे.


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इस बैठक में जेडीयू के केसी त्यागी ने चौंकाया


विपक्षी दलों के नेताओं की फिलिस्तीनी नेता से मुलाकात के दौरान एक चेहरे ने सभी को चौंका दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में केंद्र की सत्ता पर काबिज एनडीए (NDA)गठबंधन सरकार के सहयोगी दल जेडीयू के नेता केसी त्यागी (KC Tyagi) भी शामिल हुए थे. बैठक में मकरम बलावी ने इजरायल द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के कथित उल्लंघन के बारे में विस्तार से बात की.


तो क्या केंद्र सरकार से अलग है जेडीयू का रुख


जेडीयू महासचिव केसी त्यागी के फिलिस्तीनी नेता मोहम्मद मकरम बलावी से मुलाकात के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी टकराव पर जेडीयू का रुख केंद्र सरकार से अलग है? इस बैठक में केसी त्यागी के अलावा सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान, सपा के लोकसभा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी, कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली, कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल, आप सांसद संजय सिंह, आप विधायक पंकज पुष्कर, और पूर्व सांसद व राष्ट्रवादी समाज पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद अदीब शामिल हुए थे.


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हमले को बताया जघन्य नरसंहार और अमानवीय


फिलिस्तीनी नेता से मुलाकात के बाद जारी बयान में कहा गया है, 'हम स्पष्ट रूप से इस आक्रामकता और इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी लोगों के जघन्य नरसंहार की निंदा करते हैं. यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है. केंद्र से इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति रोकने का आग्रह करते हुए पार्टियों ने कहा, 'भारत ने हमेशा न्याय और मानवाधिकारों का समर्थन किया है. एक ऐसे राष्ट्र के रूप में भारत इस नरसंहार में भागीदार नहीं हो सकता.'


महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि भारत को इस बात पर गर्व है कि वह 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था. उसने फिलिस्तीनी लोगों के 'आत्मनिर्णय, संप्रभुता और मुक्ति' के अधिकार का लगातार समर्थन किया है. उन्होंने कहा, 'हम फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता में खड़े हैं और भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यूएनएससी प्रस्तावों को लागू करने और इस आक्रामकता को समाप्त करने और फिलिस्तीन में चल रहे नरसंहार के पीड़ितों के लिए शांति और न्याय सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कार्रवाई करने का आह्वान करते हैं.'


क्या है इजरायल-फिलिस्तीन पर भारत सरकार का रुख


पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुए इजरायल-हमास संघर्ष के बाद से भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी टकराव पर संतुलित रुख अपनाया है. इसने हमास की निंदा की है. इसके साथ ही भारत ने इजरायल से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने का आग्रह भी किया है. पिछले साल अक्टूबर में भारत ने इजरायल-हमास युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान से खुद को दूर रखा था. विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना साधे जाने के बाद भाजपा ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत का रुख 'दृढ़ और सुसंगत' है. इसके साथ ही बीजेपी ने तर्क दिया कि जो लोग 'आतंकवाद का साथ' देना चाहते हैं, उन्हें जोखिमों का अनुमान लगा लेना चाहिए.


इजरायल और फिलिस्तीन मुद्दे पर केसी त्यागी ने क्या कहा?


इजरायल और फिलिस्तीन मुद्दे पर जेडीयू के रुख पर केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'जनता पार्टी के समय से ही हम फिलिस्तीन के समर्थन में हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित भारत सरकार ने भी फिलिस्तीन के मुद्दे को समर्थन दिया है. हम चाहते हैं कि गाजा में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की हत्या बंद हो और हम यह भी चाहते हैं कि इजरायल और फिलिस्तीन के बारे में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सम्मान किया जाए.'


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