25 Years Of Kargil Vijay: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बदनीयती और धोखे के चलते कारगिल में पैदा जंग के हालात को 25 साल पहले भारतीय जाबांजों ने बहादुरी से बेहतरीन अंजाम पर पहुंचाया था. देश कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस दौरान कारगिल युद्ध के कई बहादुर हीरो ने रोमांच और गर्व के कई पलों के बारे में अपने अनुभव और अपनी यादें जाहिर कर रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 फाइटर जेट से पाकिस्तानी चौकियों पर हमला


आज से पहले 25 साल पहले कारगिल युद्ध के चरम पर होने के दौरान भारतीय वायु सेना के मिराज 2000 फाइटर जेट का इस्तेमाल पाकिस्तानी चौकियों पर हमला करने के लिए किया गया था. उस दौरान पाकिस्तान वायु सेना के F-16 पर लॉक हो गए थे. मिराज के पायलटों को अगर खतरा महसूस होता तो वे हवा से हवा में मिसाइलें दाग कर F-16 को पल भर में ढेर कर सकते थे.


एयर मार्शल नांबियार (रिटा.) ने PAF के F-16 को 30 सेकेंड तक लॉक रखा


एयर मार्शल नांबियार (सेवानिवृत्त) पहले IAF पायलट थे. कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने टाइगर हिल पर लेजर-गाइडेड बम गिराकर एक पाकिस्तानी चौकी को नष्ट कर दिया था. उस हमले का पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय क्षेत्र के भीतर की चौकियों पर दोबारा कब्ज़ा करने के मकसद को खत्म करने के लिए हमारी जमीनी रणनीतियों को भी बड़ा सपोर्ट मिला था. 


एक टीवी इंटरव्यू में एयर मार्शल नांबियार (सेवानिवृत्त) ने कहा, ''हां, मैंने एक बार पाकिस्तानी एफ-16 को लगभग 30 सेकंड के लिए लॉक किया था. जैसे ही हमने उस पर ध्यान दिया, वह भागकर दूर हो गया. वह हमसे लगभग 35 किमी की दूरी पर था."


पायलटों को क्या थे निर्देश? एयर मार्शल डीके पटनायक (रिटा.) ने बताया


एयर मार्शल डीके पटनायक (सेवानिवृत्त) ने बताया, "हमारे निर्देश बहुत स्पष्ट थे. अगर फोर्स पर कोई हवाई खतरा विकसित हो रहा था, तो हमें हमलावरों पर बड़ा हमला शुरू करके खतरे को टालना था. रात में पहाड़ी इलाके में खतरनाक मिशन में साफ संदेश था कि अगर वह कायम रहा, तो अटैक लॉन्च करें." हालांकि, भारतीय वायुसेना के पायलटों से कहा गया था कि अगर पाकिस्तान वायु सेना के लड़ाकू विमान उनके हमले से पीछे हट जाते हैं तो वे भी पीछे हट जाएं. उन्हें यह भी निर्देश दिया गया कि वे नियंत्रण रेखा के पार हवाई क्षेत्र में पीएएफ फाइटर जेटों का पीछा न करें.


स्ट्राइक मिशन के दौरान IAF ने मिराज 2000 को क्यों आगे रखा था?


स्ट्राइक मिशन के दौरान, IAF मिराज 2000 कम दूरी की फ्रांसीसी निर्मित मैजिक II हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस थे, जबकि एस्कॉर्ट मिराज 2000 530D मिसाइलों से लैस थे, जो दुश्मन के विमानों को दृश्य सीमा से परे ले जा सकते थे. एस्कॉर्ट सेनानियों को रेमोरा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर पॉड्स से भी लैस किया गया था, जो दुश्मन के विमानों के राडार को जाम करने के लिए थे.


उसी मिशन-सेट के हिस्से के रूप में तैनात भारतीय वायु सेना मिराज 2000 पायलटों ने भी नियंत्रण रेखा के पार लगातार पाकिस्तानी हवाई गतिविधि का पता लगाया. हालांकि, पीएएफ के एफ -16 भारतीय वायुसेना के लॉन्च-पैड से काफी दूर रहे. उस समय हमारी हवाई मिसाइलें पीएएफ द्वारा संचालित की जाने वाली मिसाइलों से कहीं आगे थीं.


ग्रुप कैप्टन श्रीपाद टोकेकर (रिटा.) के नेतृत्व में मुंथो ढालो स्ट्राइक मिशन


एक स्ट्राइक मिशन पर मुंथो ढालो में एक प्रमुख पाकिस्तानी लॉजिस्टिक बेस पर हमला की अगुवाई करने वाले ग्रुप कैप्टन श्रीपाद टोकेकर (सेवानिवृत्त) कहते हैं, "शुरुआती उड़ानों में, हमारे पास एफ-16 के रडार वार्निंग रिसीवर (आरडब्ल्यूआर) पिकअप थे. हमारे आरडब्ल्यूआर पर, हम महसूस कर सकते थे कि एफ-16 उड़ रहे थे जो हम पर हमले के लिए अपने रडार पर रेडिएशन कर रहे थे, लेकिन फिर भी, अगर हम उनकी ओर मुड़ते, तो वे दूर हो जाते. इसलिए ऐसा कई बार हुआ."


सैन्य विमानों पर लगे रडार वार्निंग रिसीवर क्या होते हैं? 


सैन्य विमानों पर लगे रडार वार्निंग रिसीवर दुश्मन के विमानों के रडार के रेडियो उत्सर्जन का पता लगाने के लिए डिजाइन किए गए सिस्टम हैं. जब कोई खतरा माना जाने वाला रडार सिग्नल पकड़ा जाता है तो आरडब्ल्यूआर एक चेतावनी जारी करते हैं. इसमें लड़ाकू विमानों के फायर कंट्रोल रडार से उत्सर्जन भी शामिल है जो हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम होने के लिए रडार लॉक को पूरा करने के समय होता है.


मिराज के प्रकट होने के बाद कुछ ही दिनों में पाकिस्तानी लुप्त होने लगे


ग्रुप कैप्टन श्रीपाद टोकेकर (सेवानिवृत्त) ने कहा, "हमारे रडार वार्निंग रिसीवर एफ-16 के लिए प्रोग्राम किए गए थे. इसलिए प्रतीक 'एफ' हमारे कॉकपिट डिस्प्ले पर दिखाई देता था और जब वह दिखाई देता था, तो हम घूमते थे और अपना रडार खोल देते थे और जैसे ही हम अपना रडार खोलते थे, वह उसे देखकर पलट जाता था." क्षमताओं में बेमेल और साफ तौर पर कमजोर होने से पाकिस्तान वायु सेना के लड़ाकू विमानों की संख्या एक सप्ताह के भीतर कम होनी शुरू हो गई. ग्रुप कैप्टन टोकेकर (सेवानिवृत्त) कहते हैं, ''मिराज के प्रकट होने के बाद लगभग 8-10 दिनों में पाकिस्तानी लुप्त होने लगे.''


एयर मार्शल डीके पटनायक (रिटा.) ने कहा- PAF घबराकर उल्टे पांव लौटा


उस समय मिराज 2000 की प्राथमिक ताकत हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल फ्रेंच सुपर 530डी मिसाइल थी. वह 1999 में पाकिस्तान वायु सेना एफ-16 द्वारा संचालित अमेरिका निर्मित साइडवाइंडर से अधिक अपडेटेड क्षमता थी. एयर मार्शल डीके पटनायक (सेवानिवृत्त) कहते हैं, ''वे एलओसी के सबसे करीब थे. लगभग 30 किमी पर. हमारे पास दृश्य सीमा से परे हथियार थे. हमारी सुपर 530डी मिसाइल एक्टिव थी. उस ऊंचाई पर 20 किमी की दूरी थी, इसलिए उन्होंने कभी रिस्क नहीं लिया. हमारे पास एक बेहतर मिसाइल थी.''


ये भी पढ़ें - Kargil War @25: कारगिल में घुसपैठ की साजिश में पाकिस्तान को चीन से मिली मदद, मुशर्रफ के टेप से पोल खुली तो फेर लिया मुंह


कारगिल युद्ध में शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान ने  F-16 को अपग्रेड किया


कारगिल युद्ध के बाद के वर्षों में, पाकिस्तान वायु सेना ने अपने F-16 फाइटर जेट को लंबी दूरी की अमेरिका निर्मित AIM-120C AMRAAM मिसाइल से अपग्रेड और लैस करके अपनी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की क्षमताओं में असंतुलन को ठीक किया. भारतीय वायुसेना द्वारा बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकी शिविर को निशाना बनाने के एक दिन बाद 27 फरवरी, 2019 को संक्षिप्त हवाई युद्ध के दौरान भारतीय सेना के लड़ाकू विमानों पर ये AMRAAM लॉन्च किए गए थे.


ऐसा माना जाता है कि भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के मिग-21 को पाक वायु सेना के F-16 से दागे गए AMRAAM ने गिरा दिया था. तब F-16 के इस्तेमाल की खबर ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं.


ये भी पढ़ें - Agniveer Scheme: समय आने दीजिए, आप देखेंगे... अग्निपथ योजना और अग्निवीर पर और क्या-क्या बोले वायुसेना के पूर्व प्रमुख आरकेएस भदौरिया