Kargil Vijay Diwas: मुंह में AK-47 की बैरल, कारगिल युद्ध के हीरो ग्रुप कैप्टेन नचिकेता की कहानी गर्व से सीना चौड़ा कर देगी
Kargil Vijay Diwas 25th Anniversary: वीरता, गर्व और जाबांजी की ये कहानी है कारगिल युद्ध के योद्धाओं में से एक लड़ाकू पायलट ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) के नचिकेता राव (Group Captain Kambampati Nachiketa Rao) की, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए.
Kargil War Hero K Nachiketa Rao: आज 140 करोड़ भारतवासी कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं. इस बेहद खास मौके पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. जहां सेना के जाबांज, बहादुर और महान योद्धाओं की कहानियों से देशवासियों को रूबरू कराया जा रहा है. ज़ी न्यूज़ (Zee News) भी कारगिल युद्ध की कहानियों को आप तक पहुंचा रहा है. यहां बात पाकिस्तान की नाम में दम करने वाले भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के. नचिकेता राव की जिनका दम देखकर पाकिस्तान की फौज बेदम सी हो गई थी. सामने मौत खड़ी थी लेकिन नचिकेता सीना ताने खड़े थे. नचिकेता मुस्कुरा रहे थे और पाकिस्तानियों के पैर लड़खड़ा रहे थे. दुश्मन देश के फौजी इस बात से भी परेशान थे कि यह हिंदुस्तानी पायलट आखिरकार किस मिट्टी से बना है?
के नचिकेता कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के एक लड़ाकू पायलट थे. युद्ध के बीच उनके फाइटर जेट का इंजन फेल होने के कारण उन्हें अपने मिग-27 विमान से इजेक्ट करना पड़ा. जिसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने पकड़ लिया था.
मुंह के अंदर थी AK-47 की नली
कारगिल युद्ध के दौरान अपने अनुभव नचिकेता ने कई बार दुनिया से साझा किए. एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा यूं तो 25 साल एक लंबा वक्त होता है. उम्र का एक चौथाई हिस्सा गुजर चुका है. लेकिन अब भी उस दुश्मन फौजी की आंखें और चेहरा उनके जेहन में एकदम साफ हैं जो प्वाइंट ब्लैंक रेंज में उनके सबसे करीब था. अपनी कहानी सुनाते हुए नचिकेता ने कहा, 'एक वक्त ऐसा आया कि उसने अपनी AK-47 की बैरल मेरे मुंह में ठूंस दी थी. मैं उसकी ट्रिगर वाली उंगली देख रहा था. मैं यह सोंच रहा था कि वो इसे खींचेगा या नहीं.'
श्रीनगर से उड़े और...
अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दिन की कहानी सुनाते हुए नचिकेता ने आगे बताया कि दुश्मन की कैद में उन्हें खाना तो छोड़िए पानी तक नहीं दिया जाता था. पाकिस्तानी फौजी उन्हें सोने तक नहीं देते थे. राज उगलवाने के लिए उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जाता था. ग्रुप कैप्टन ने ये भी बताया कि उन्होंने अपना जेट क्रैश होने के बाद दुश्मन के बीच अपना मनोबल बनाए रखा. अपनी कहानी सुनाते हुए उन्होंने आगे कहा कि वो अपने तीन अन्य साथी पायलटों के साथ श्रीनगर से उड़े थे. उनका टारगेट दुश्मन का लॉजिस्टिक्स हब था. उन्होंने चार विमानों के सेट में उड़ान भरी थी. आसमान छूते ही टारगेट पर रॉकेट दागे. रॉकेट हमले के बाद उनके विमान का इंजन फेल हो गया. दरअसल MiG-27 सिंगल इंजन जेट होता है. इंजन फेल होने पर ग्रुप कैप्टेन नचिकेता ने पहाड़ियों को अपनी ओर आते देख इजेक्ट करने का फैसला किया.
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शेर की तरह दुश्मन के घर गए और सीना तान कर लौटे
ग्रुप कैप्टन राव ने आगे कहा कि आसमान से कूदे और जब जमीन मिली तो चारों ओर भयानक बर्फ थी. इजेक्शन के कारण पीठ में भयानक दर्द था. ठंड जूतों में घुस रही थी. पूरा शरीर ठंडा पड़ रहा था. पास में केवल एक पिस्टल और 16 गोलियां थीं. पहले लगा कि इतना काफी होगा, लेकिन हालात विकट थे. उन्हें लोकेशन का अंदाजा नहीं था. जिस यूनिट ने उन्हें पकड़ा उसने दुश्मन जैसा बरताव शुरू कर दिया. इसके बावजूद उनके मन में पर्सनल लेवल पर उस अधिकारी के प्रति सम्मान रहा, जिसने उन्हें फर्स्ट एड यानी प्राथमिक उपचार दिया.
दरअसल जहाज से कूदते ही थोड़ी देर में पाकिस्तानी राडार से मिले इनपुट से उन्हें ढूंढ लिया गया. हालांकि आगे पाकिस्तानियों ने युद्ध के नियमों का पालन नहीं किया. सीमा पार के फौजियों ने हैवानियत दिखाई. जुल्म की इंतहा कर दी लेकिन नचिकेता क्या किसी भी भारतीय सैनिक का मुंह नहीं खुलवा पाए. पाकिस्तानियों ने उन्हें लगातार टॉर्चर किया. आखिर में एक ऐसा मौका आया और उन्हें भारतीय सेना के अधिकारियों को सौंपा गया.
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