2 फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर पाए 355 में से 277 प्रत्याशी, जब्त हुई जमानत
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2 फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर पाए 355 में से 277 प्रत्याशी, जब्त हुई जमानत

28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 355 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन 277 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. 

फाइल फोटो

भोपालः मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली और आठ सीटें कांग्रेस ने जीती. अगर बसपा को छोड़ दिया जाए तो चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे करने वाली अन्य पार्टियां इस चुनाव में अपना असर तक नहीं छोड़ सकी. उपचुनाव में 78 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. 

277 उम्मीदवारों की जमानत जब्त 
28 विधानसभा सीटों पर 355 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. जिनमें से 277 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. ये उम्मीदवार अपनी सीट पर 1.60 प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर सके. 

बसपा और सपा को भी लगा झटका 
उपचुनाव में बसपा और सपा ने भी सभी 28 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. लेकिन चुनाव नतीजों के बाद बसपा के 12 और सपा के 8 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. इसके अलावा 27 निर्दलीय प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हुई. हालांकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बसपा कुछ सीटों पर दूसरे नंबर पर रही. लेकिन दूसरे अंचलों में वह खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी. 

क्या होती है जमानत 
अगर कोई प्रत्याशी चुनाव लड़ता है तो उसे जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित रकम जमा करनी होती है. जब प्रत्याशी चुनाव में निश्चित प्रतिशत मत हासिल नहीं कर पाता, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है यानी यह राशि आयोग की हो जाती है. जो उम्मीदवार को वापस नहीं की जाती है. 

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जमानत बचाने के लिए जरुरी होते हैं 1.60 प्रतिशत वोट 

यदि कोई उम्मीदवार किसी सीट से चुनाव लड़ता है तो उस उम्मीदवार को उस सीट पर हुए मतदान का करीब 1.60 प्रतिशत वोट नहीं मिलता. तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है. मध्य प्रदेश उपचुनाव में 277 उम्मीदवारों के साथ ऐसा ही हुआ. कई सीटों पर तो इन उम्मीदवारों की जगह नोटा को ज्यादा वोट मिले. 

इस सीट पर सबसे ज्यादा प्रत्याशियों की जमानत जब्त 
भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा सीट सबसे ज्यादा 40 उम्मीदवार खड़े हुए थे. इसी सीट पर सबसे ज्यादा 35 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. यहां बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की और कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे. जबकि तीसरे नंबर बसपा रही. जबकि समाजवादी पार्टी सहित अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी. 

चुनाव दर चुनाव बढ़ रही राजनीतिक दलों की संख्या 
भले ही चुनाव में अन्य दलों के प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाते. लेकिन चुनाव दर चुनाव मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ती जा रही है. बसपा, सपा, शिवसेना, सपाक्स सहित जन अधिकार पार्टी, समता समाधान पार्टी, राष्ट्रीय वंचित पार्टी, भारतीय मजदूर जनता पार्टी जैसे कई राजनीतिक दल इस बार भी चुनाव मैदान में उतरे थे. लेकिन कोई भी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी. जबकि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी 19 पार्टियां मैदान में उतरी थी. इनमें से अधिकांश पार्टियों के उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे. 

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