भोपालः कांग्रेस नेता अहमद पटेल का कोरोना संक्रमण की वजह से निधन हो गया है. इस नेता का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. गांधी परिवार के बाद अहमद पटेल की गिनती कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेताओं में की जाती थी. हमेशा पर्दे के पीछे रहने वाले अहमद पटेल कांग्रेस संगठन के सबसे बड़े स्तंभ थे. जिनकी राजनीतिक कुशलता का लोहा उनके विरोधी भी मानते थे. मध्य प्रदेश की सियासत में कांग्रेस जब-जब मुसीबत में दिखी अहमद पटेल ने तब-तब यहां भी अहम भूमिका निभाई. इसकी अहमियत इस बात से भी लगाई जा सकती है कि अहमद पटेल के निधन पर दिग्विजय सिंह ने दुख जताते हुए ट्वीट किया कि अहमद पटेल कांग्रेसियों के लिए हर मर्ज की दवा थे.


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मध्य प्रदेश की राजनीति में था अहमद पटेल का दखल
अहमद पटेल को यूं ही कांग्रेस का चाणक्य नहीं कहा जाता था. गुजरात से आने वाले सौम्य स्वभाव के अहमद पटेल कांग्रेस के लिए सबसे बड़े संकटमोचक माने जाते थे. मध्य प्रदेश की सियासत में अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोहरा से लेकर वर्तमान में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से उनके संबंध सबसे घनिष्ट माने जाते थे. दिल्ली में सक्रिय रहने वाले अहमद पटेल ने कई मौकों पर मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीतिक दिशा और दशा तय की.


अहमद पटेल के करीबी थे कमलनाथ-दिग्विजय सिंह
अहमद पटेल एमपी के दो पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के सबसे करीबियों में से एक माने जाते थे. गुजरात में जब केशुभाई पटेल की सरकार गिरी तब वाघेला गुट के विधायकों को मध्य प्रदेश के खजुराहो के एक होटल में ठहराया गया. इस काम को अहमद पटेल और कमलनाथ की जोड़ी ने ही अंजाम दिया था. जिसके बाद गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनी थी.


इसी तरह मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तब उन्हें इस पद को दिलाने में अहमद पटेल की भूमिका भी मानी जाती है. 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कमलनाथ को कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान दिलाने में भी अहमद पटेल की भूमिका रही.


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विवेक तन्खा को पहुंचाया राज्यसभा
2016 में मध्य प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुआ. संख्याबल के हिसाब से दो सीटें बीजेपी और एक सीट का कांग्रेस के खाते में जाना तय था. लेकिन बीजेपी ने विनोद गोटिया को तीसरा उम्मीदवार बनाकर खड़ा कर दिया. लिहाजा कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा के लिए राज्यसभा पहुंचना आसान नहीं था.


इस पर अहमद पटेल एक्टिव हुए. जिसके बाद कमलनाथ के घर पर कांग्रेस विधायकों के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया गया और यही से वोटिंग की रणनीति बनी. इसका नतीजा ये रहा कि विवेक तन्खा राज्यसभा पहुंच गए. अहमद पटेल के निधन पर विवेक तन्खा ने ट्वीट करते हुए लिखा भी कि अहमद पटेल ने कई मौकों पर उनका साथ दिया.


आठ बार सांसद रहे अहमद पटेल
अहमद पटेल ने संसद में 8 बार गुजरात का प्रतिनिधित्व किया है. तीन बार लोकसभा सांसद की हैसियत से, तो 5 बार राज्यसभा सांसद की हैसियत से. अहमद पटेल ने कांग्रेस पार्टी में हर अहम जिम्मेदारी उठाई. कांग्रेस पार्टी तो गुजरात में मजबूत किया और यूथ कांग्रेस को पूरे देश में सांगठनिक तौर पर खड़ा किया.


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आज कांग्रेस में जो भी पुराने नेता दिखते हैं, इत्तेफाक से उनमें से कई यूथ कांग्रेस से निकलकर आए हैं. अहमद पटेल कांग्रेस पार्टी के महासचिव से लेकर कोषाध्यक्ष तक रहे. वो 1977 से 1982 तक पटेल, गुजरात यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. साल 1991 में पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया, जो वे जीवनपर्यन्त बने रहे.


अहमद पटेल का निजी जीवन
अहमद पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को भरुच में हुआ था. भरुच जिला तब बॉम्बे प्रेसीडेन्सी का हिस्सा हुआ करता था. पटेल ने राजनीतिक जीवन की शुरूआत में ही इमरजेंसी के दौर में मेमुना से साल 1976 में शादी की थी. उनके दो बच्चे हैं और दोनों का ही राजनीति से कोई लेना देना नहीं. अहमद पटेल खुद को भी मीडिया की चमक दमक से दूर रखने का प्रयास करते रहे.


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