छत्तीसगढ़ सीएम फेस को लेकर जिन नामों पर अटकलें लगाई जा रहीं, उसमें एक नाम रेणुका सिंह का भी है. यदि रेणुका सिंह के नाम पर मोहर लगती है तो प्रदेश को पहली महिला मुख्यमंत्री मिल जाएगी.
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मध्य प्रदेश सहित 5 राज्यों में चुनावी नजीतें स्पष्ट हो गए हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत के साथ जीत हासिल की है. बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां भारतीय जनता पार्टी ने 54 सीटें जीतकर प्रचण्ड बहुमत हासिल कर चुकी है. वहीं कांग्रेस को 35 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. यहां मुख्यमंत्री पद के लिए दांवेदारियां भी पेश होने लगी हैं. सीएम फेस को लेकर जिन नामों पर अटकलें लगाई जा रहीं, उसमें एक नाम रेणुका सिंह का भी है. यदि रेणुका सिंह के नाम पर मोहर लगती है तो प्रदेश को पहली महिला मुख्यमंत्री मिल जाएगी.
कौन है रेणुका सिंह
रेणुका सिंह भरतपुर सोनहट एसटी सीट में कांग्रेस के गुलाब कामरो को बड़े अंतर से हराया है. फिलहाल में रेणुका सिंह केंद्र में अनुसूचित जनजाति विभाग की मंत्री हैं. इसके पहले छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार में भी वो मंत्री रह चुकी हैं. रेणुका की एसटी वर्ग और महिलाओं के बीच अपनी अलग पैठ बना रखी हैं. 2023 विधानसभा चुनाव का उनका एक बयान बहुत तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था ''अगर कोई उनके एक कार्यकर्ता की उंगली काटने की कोशिश करेगा तो वो उसका एक हाथ काटकर दूसरे हाथ में देना जानती हैं''
अब जानिए क्यों बन सकती हैं मुख्यमंत्री
रेणुका सिंह महिला होने के साथ - साथ गोंड समाज से आती हैं जो कि छत्तीसगढ़ का सबसे प्रभावी समाज है. अपने चुनाव प्रचार में बीजेपी ने बार-बार महिलाओं के विकास की बात उठाई थी. साथ ही केंद्र में महिलाओं के विकास में जोर की बात कही जाती है. बात करें 2023 विधानसभा नतीजों की तो सरगुजा और बस्तर जो भूपेश भघेल ने 2018 में अपने नाम किया था वहां बीजेपी इस बार भारी जीत हासिल कर पाई. यही फैक्टर रेणुका सिंह को छत्तीसगढ़ के सीएम फेस की रेस में सबसे आगे कर देते हैं.
हालाकि इनके अलावा भी कई नाम सामने आ रहें हैं. जिसमें लता उसेंडी, अरुण साव, विजय बघेल और सरोज पांडेय के नाम शामिल हैं. हालाकि यह कहना भी गलत नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ का अगला सीएम इनमें से न लेकर किसी और को बना दे. क्यों कि बीजेपी सरकार को ऐसे करते कई बार देखा गया है.
रेणुका सिंह का सियासी सफर
रेणुका सिंह का सियासी सफर की शुरुआत रामानुज नगर की बीजेपी मंडल अध्यक्ष के रुप में हुई थी. इसके बाद वो 2003 में प्रेमनगर विधानसभा से पहली बार विधायक बनी. 2008 में भी जीतकर रमन सरकार के महिला बाल विकास समाज कल्याण विभाग की मंत्री बनी. इसके बाद 2019 में सरगुजा लोकसभा सीट से सांसद बनकर मोदी सरकार में अनुसूचित जनजाति विकास राज्य मंत्री के पदभार में हैं.