मध्य प्रदेश में 17 नवंबर यानि कल होने वाले मतदान के लिए सभी 230 विधानसभा सीटों पर तैयारियां पूरी हो गई हैं. यूं तो प्रदेश की हर एक विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हैं. लेकिन प्रदेश की 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर सबकी नजरें रहेगी.
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MP Election: मध्य प्रदेश में 17 नवंबर यानि कल होने वाले मतदान के लिए सभी 230 विधानसभा सीटों पर तैयारियां पूरी हो गई हैं. यूं तो प्रदेश की हर एक विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हैं. लेकिन प्रदेश की 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर सबकी नजरें रहेगी. क्योंकि इनमें कई सीटों पर बीजेपी कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव लड़ रहे हैं तो कई सीटों पर बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. जानिए इन 20 विधानसभा सीटों की पूरी जानकारी.
बुधनी
सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट प्रदेश की सबसे अहम सीट मानी जाती है. क्योंकि यहां से सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने इस बार सीएम शिवराज के सामने स्थानीय उम्मीदवार और टीवी एक्टर विक्रम मस्ताल को चुनाव लड़ाया है. शिवराज सिंह चौहान इस सीट से पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं.
छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने कमलनाथ के सामने स्थानीय बंटी साहू को चुनाव लड़ाया है. इस सीट पर भी सबकी नजरें हैं, क्योंकि कमलनाथ कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं.
दिमनी
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट इस बार सूबे की वीआईपी सीट बन गई है. बीजेपी ने यहां से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव में उतारा है, कांग्रेस ने उनके सामने रविंद्र सिंह तोमर को टिकट दिया है. दिमनी सीट पर बसपा के बलवीर दंडोतिया भी प्रभावी भूमिका में नजर आ रहे हैं. दिमनी सीट पर 2018 और 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. लेकिन तोमर के चुनाव में आने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
इंदौर-1
इंदौर जिले की इंदौर-1 विधानसभा सीट भी सबसे हॉट सीट मानी जा रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि कांग्रेस की तरफ से उनके सामने स्थानीय विधायक संजय शुक्ला चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों नेता यहां चुनाव में पूरी ताकत लगाते नजर आ रहे हैं.
लहार
भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है. वर्तमान नेता प्रतिपक्ष इस सीट पर 1990 से लगातार 2018 तक यहां से सात विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. बीजेपी ने इस बार गोविंद सिंह के सामने अमरीश शर्मा को चुनाव लड़ाया है. जबकि बीजेपी के बागी रसाल सिंह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
राघौगढ़
गुना जिले की राघौगढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के परिवार की पकड़ वाली सीट मानी जाती है. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह यहां से लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने इस बार जयवर्धन सिंह के सामने कभी उनके ही खास रहे हीरेंद्र सिंह बंटी बन्ना को चुनाव लड़ाया है. हीरेंद्र सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में लाए थे. ऐसे में इस सीट पर भी सबकी नजरे हैं.
दतिया
दतिया विधानसभा सीट पर बीजेपी के फायरब्रांड नेता नरोत्तम मिश्रा चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं, वह 2008 से लगातार 2018 तक इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस ने इस बार नरोत्तम मिश्रा के सामने राजेंद्र भारती को ही चुनाव लड़ाया है, दोनों नेताओं के बीच यहां चौथा चुनाव हैं. नरोत्तम मिश्रा 2018 में करीबी अंतर से चुनाव जीते थे.
ग्वालियर
ग्वालियर विधानसभा सीट पर शिवराज सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर चुनाव लड़ रहे हैं, जो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी माने जाते हैं. कांग्रेस ने तोमर के सामने सुनील शर्मा को चुनाव लड़ाया है. ग्वालियर विधानसभा सीट बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी है.
रहली
सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता गोपाल भार्गव नोवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. गोपाल भार्गव 1985 से 2018 तक लगातार 8 चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस ने इस बार उनके सामने जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटेल को उतारा है. यह सीट बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है.
जबलपुर पश्चिम
जबलपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर बीजेपी सांसद राकेश सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री तरुण भनोट चुनाव लड़ रहे हैं. भनोट कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं. यह सीट कांग्रेस की मजबूत सीट मानी जाती है. ऐसे में पार्टी ने राकेश सिंह को यहां से चुनाव लड़ाया है, जो चार बार के सांसद हैं.
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नरसिंहपुर
मोदी सरकार में मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल पहली बार नरसिंहपुर विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने उनके भाई जालम सिंह पटेल की जगह उन्हें चुनाव लड़ाया है. कांग्रेस ने प्रहलाद सिंह पटेल के सामने लाखन सिंह पटेल को उतारा है.
निवास
मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट से मोदी सरकार में मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव लड़ रहे हैं, कांग्रेस ने उनके सामने चैन सिंह बरकड़े को मैदान में उतारा है. कुलस्ते के चुनाव लड़ने की वजह से यह सीट भी वीआईपी सीट बन गई है. जिस पर सबकी नजरें हैं.
राऊ
इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प हैं. राऊ सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता जीतू पटवारी चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने उनके सामने मधु वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. पटवारी पिछला चुनाव करीबी अंतर से जीते थे, ऐसे में यहां भी मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है.
पिछोर
शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है. कांग्रेस के केपी सिंह यहां से लगातार 6 चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि कांग्रेस ने इस बार केपी सिंह की जगह अरविंद सिंह लोधी को चुनाव लड़ाया है, जबकि बीजेपी की तरफ से प्रीतम सिंह लोधी चुनाव लड़ रहे हैं, प्रीतम सिंह लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के रिश्तेदार हैं. बीजेपी यहां पूरा जोर लगाती नजर आ रही है.
खुरई
सागर जिले की खुरई विधानसभा सीट भी वीआईपी सीटों में शामिल हैं, यहां से शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री भूपेंद्र सिंह चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं, कांग्रेस ने उनके सामने युवा नेत्री रक्षा राजपूत को चुनाव लड़ाया है. भूपेंद्र सिंह को लेकर कांग्रेस सबसे ज्यादा हमलावर रही है. ऐसे में यहां भी मुकाबला दिलचस्प हैं.
गोविंदपुरा
भोपाल जिले की गोविंदपुरा सीट प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है, बीजेपी यहां से लगातार 10 चुनाव जीत चुकी है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर इस सीट से 9 चुनाव जीत चुके हैं, जबकि 2018 में उनकी बूह कृष्णा गौर चुनाव जीती थी, कांग्रेस ने इस बार कृष्णा गौर के सामने रविंद्र साहू को चुनाव लड़ाया है.
भोपाल उत्तर
राजधानी की भोपाल उत्तर विधानसभा सीट कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है. कांग्रेस के आरिफ अकील 1998 से लगातार 5 चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस ने इस बार आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील को चुनाव लड़ाया है, जबकि बीजेपी ने भोपाल के पूर्व महापौर आलोक शर्मा को चुनाव लड़ाया है. खास बात यह है कि आरिफ अकील के भाई और कांग्रेस नेता आमिर अकील निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प हैं.
सीधी
सीधी विधानसभा सीट 'सीधी पेशाब कांड' की वजह से सबसे ज्यादा चर्चा में रही है. बीजेपी ने यहां से वर्तमान विधायक केदार शुक्ला का टिकट कांटकर सांसद रीति पाठक को चुनाव लड़ाया है. रीति पाठक के सामने कांग्रेस के ज्ञान सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि टिकट कटने से नाराज होकर केदार शुक्ला निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
शिवपुरी
शिवपुरी विधानसभा सीट पर भी इस बार मुकाबला दिलचस्प है, बीजेपी की यशोधरा राजे सिंधिया यहां से लगातार चुनाव जीत रही थी. लेकिन इस बार यशोधरा की जगह देवेंद्र जैन को प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस के दिग्गज नेता केपी सिंह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट भी सिंधिया परिवार की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है. ऐसे में यहां भी मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है.
सतना
सतना विधानसभा सीट पर बीजेपी के एक और सांसद गणेश सिंह को पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने उनके सामने वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को चुनाव में लड़ाया है. ऐसे में यहां भी मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है. 2018 में कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी. ऐसे बीजेपी का दांव यहां अहम माना जा रहा है.
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