नर्मदा के बढ़ते जलस्तर के बावजूद भी टापू पर रहने वाले कनकसिंग और बहादुरसिंग ने बताया कि हम लोग बाढ़ के बावजूद भी टीन शेड में बुजुर्गों और मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं. इन लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने मुआवजे की राशि भी नहीं दी है और टीन शेड में रहने के लिए कहता है, जहां मावेशियों के साथ रहना अशंभव है.
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बड़वानी: मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश के चलते नर्मदा के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है. इससे बड़वानी में नर्मदा नदी का जलस्तर 134 मीटर पहुंच चुका है और राजघाट इलाका पूरी तरह टापू में तब्दील हो गया है. बढ़े जलस्तर की वजह से निचले इलाकों की बस्तियां डूब गई हैं, जिसके चलते इलाके को खाली करा लिया गया है. बावजूद इसके यहां पर 17 परिवार ऐसे हैं जो टापू में रहने को मजबूर हैं.
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नर्मदा के बढ़ते जलस्तर के बावजूद भी टापू पर रहने वाले कनक सिंग और बहादुर सिंग ने बताया कि हम लोग बाढ़ के बावजूद भी टीन शेड में बुजुर्गों और मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं. इन लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने मुआवजे की राशि भी नहीं दी है और टीन शेड में रहने के लिए कहता है, जहां मावेशियों के साथ रहना अशंभव है. इसलिए हम अपनी मांगों को लेकर यहां बैठे हैं.
जब इस मामले में बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ये लोग बिना किसी कारण के टापू पर बैठे हुए हैं. इनकी सभी मांगे पूर्व में पूरी कर दी गई हैं. जो मांगे हैं, वे भी पूरी कर दी जाएगी. वहीं जब कलेक्टर से पूछा गया कि इन लोगों की मांग जायज नहीं तो प्रशासन ने इन्हें सख्ती से हटा क्यों नहीं देता?
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इसके जवाब में कलेक्टर ने कहा कि खतरा 138 मीटर के बाद होता है. वर्तमान समय में नर्मदा का जलस्तर 134 मीटर है, जब जलस्तर और ज्यादा बढ़ेगा तो उन्हें हटा लिया जाएगा.
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