SC में बोम्मई केस का हवाला दे BJP ने की बहुमत परीक्षण की मांग, जानिए याचिका में क्या है पेच
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SC में बोम्मई केस का हवाला दे BJP ने की बहुमत परीक्षण की मांग, जानिए याचिका में क्या है पेच

मध्य प्रदेश में बहुमत परीक्षण के बिना विधानसभा बजट सत्र स्थगित किए जाने पर बीजेपी सर्वोच्च न्यायलय पहुंच गई लेकिन रजिस्ट्रार ने याचिका में खामी होने की बात कहते हुए उसमें सुधार करने की सलाह दी.

फाइल फोटो

दिल्ली: मध्य प्रदेश में बहुमत परीक्षण के बिना विधानसभा बजट सत्र स्थगित किए जाने पर बीजेपी सर्वोच्च न्यायलय पहुंच गई लेकिन रजिस्ट्रार ने याचिका में खामी होने की बात कहते हुए उसमें सुधार करने की सलाह दी. हालांकि रजिस्ट्रार ने ये भी कहा कि अगर बीजेपी अपनी याचिका में इन खामियों को दूर कर ले तो इस मामले में मंगलवार को ही सुनवाई हो सकती है. बीजेपी की तरफ से ये याचिका पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और 9 अन्य विधायकों ने दायर की है. आईए जानते हैं कि बीजेपी की इस याचिका में क्या है...

बीजेपी ने याचिका में क्या दलील दी?
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, नेता विपक्ष गोपाल भार्गव, बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, विश्वास सारंग, संजय सत्येंद्र पाठक, कृष्णा गौर और सुरेश राय ने जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बीजेपी ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आ गई है. कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है. बीजेपी ने कहा कि लोकतंत्र और संवैधानिक नियमों के मुताबिक कांग्रेस को एक दिन भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है.

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बीजेपी ने दिया 32 साल पुराने केस का हवाला
एस.आर. बोम्मई बनाम भारत गणराज्य केस का हवाला देते हुए बीजेपी ने कहा कि अगर कोई सरकार अपना बहुमत खो देती है, तो राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया जाना चाहिए. मध्य प्रदेश में राज्यपाल लालजी टंडन ने आदेश दे दिया है. लेकिन सरकार ने बहुमत परीक्षण नहीं करवाया. बीजेपी ने कहा कि यह संभव है कि कुछ दुर्लभ स्थिति में परीक्षण असंभव हो सकता है, हालांकि ऐसी स्थिति की परिकल्पना करना मुश्किल है. लेकिन अगर ऐसा होता है, तो राज्यपाल पत्र लिखकर राज्य को सूचना देता है. और बुनियादी कारण भी बताता है.

कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
आपको बता दें कि 1988 में एसआर बोम्मई कर्नाटक के सीएम बने थे. लेकिन विधायकों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया था. हालांकि उन्होंने जुगाड़ से विधायकों का समर्थन हासिल कर राज्यपाल से बहुमत परीक्षण कराने की मांग की. लेकिन 1989 में राज्यपाल की मांग पर केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संविधान के अनुच्छे 356 के अंतर्गत बोम्मई सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया. इसी मामले में 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिकारों को नियमित कर दिया. साथ ही गवर्नर के फैसले को भी गलत बताया.  

कमलनाथ सरकार ने खोया सदन का विश्वास- बीजेपी
बीजेपी ने इस केस का हवाला देते हुए कहा कि हमें कोर्ट से न्याय की उम्मीद है. कोर्ट अबकी बार भी सही फैसला सुनाएगा. बीजेपी नेताओं ने कहा कि कमलनाथ सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है. अब उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

मंगलवार को हो सकती है SC में सुनवाई
आपको बता दें कि बीजेपी की इस याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. याचिका पर जवाब देने के लिए कांग्रेस सरकार भी तैयार है. महाधिवक्ता शशांक शेखर, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल,अभिषेक मनु सिंघवी, विवेक तन्खा सुप्रीम कोर्ट में कमलनाथ सरकार का पक्ष रखेंगे. महाधिवक्ता शशांक शेखर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं.

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राजभवन में बीजेपी विधायकों की परेड
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते मध्य प्रदेश में बजट सत्र को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. इसके बाद से बीजेपी का गुस्सा सातवें आसमान पर है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जहां सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. वहीं राज्यपाल लालजी टंडन के सामने भी 106 विधायकों की परेड करवाई. बीजेपी ने राज्यपाल से मुलाकात कर अपने 106 विधायकों की लिस्ट सौंपी है.

ये है सूबे का सियासी समीकरण
मध्य प्रदेश में सियासी समीकरणों पर गौर करें तो, सूबे में 2 विधायकों के निधन के बाद विधानसभा में कुल सीटें 228 हैं. इनमें से कांग्रेस के 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. स्पीकर ने अब तक सिर्फ 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए हैं. अगर बाकियो के भी इस्तीफे मंजूर किए तो सदन में 206 सीटें रह जाएंगी. इस स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 104 का है. भाजपा के पास कुल 106 (बहुमत से 2 ज्यादा) है. जबकि कांग्रेस के पास 99 (बहुमत से 5 कम) हैं.

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