राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ चौकी विकासखंड के गांव घोरदा में सोमवार सुबह 6 बजे से मंगलवार शाम तक का वक्त दहशत भरा रहा.
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नई दिल्ली/राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ चौकी विकासखंड के गांव घोरदा में सोमवार सुबह 6 बजे से मंगलवार शाम तक का वक्त दहशत भरा रहा. गांव में घुसे एक तेंदुए ने 36 घंटे तक गांव वालों को दहशत में रखा. तेंदुए ने गांव के तीन लोगों को घायल कर दिया. सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम की भरपूर कोशिश भी नाकाम रही. तेंदुआ को पिंजरे में कैद करने रायपुर से ट्राइक्यूलाईजिंग टीम की मदद ली गई लेकिन तेंदुआ पकड़ से बाहर रहा. आखिरकार मंगलवार शाम तेंदुए के जंगल में भागने से गांव वालों सहित वन विभाग की टीम ने राहत की सांस ली लेकिन गांव वालों में आक्रोश देखा गया.
सोमवार की सुबह 6 बजे के आस-पास तेंदुआ गांव में घुसा था. गांव के फगनुराम के घर के पीछे तेंदुआ को बैठे देखा गया. घर पर मौजूद फगनुराम की पत्नी कुमारी बाई ने तेंदुआ को सबसे पहले देखा. किसी तरह वह अपनी जान बचाकर घर के पीछे का दरवाजा बंदकर भाग गई. उसके शोर को सुनकर गांव वाले इकट्ठे हुए. लोगों को जानकारी लगते ही अफरा-तफरी मच गई. ग्रामीणों की भीड़ को देखते हुए तेंदुआ हिंसक हो गया और घर से बाहर निकलते हुए गांव के ही ग्रामीण कलेस राम और भोजराम पर हमला कर दिया. दोनों के हाथ और पैरों में चोट आई है. शाम को तेंदुआ ने भोजराज के भाई केशव पटेल को भी घायल कर दिया. उसे विभाग की जीप से हॉस्पिटल पहुंचाया गया.
तेंदुआ को पकड़ने के लिए अंबागढ़ चौकी वन विभाग पास रेस्क्यू ऑपरेशन करने के लिए कोई भी साधन नहीं था. इस बात को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया. जब भी क्षेत्र में इस तरह की घटना होती है तो रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. इनके पास पिंजरा,जाली और न ही जानवर को बेहोश करने वाली बंदूक है. मंगलवार शाम तेंदुआ गांव को छोड़ कर जंगल की ओर भाग गया. अब सब सुरक्षित हैं और जंगल मे सर्चिग जारी है कि दुबारा तेंदुआ गांव में न आए.