भारत विविधताओं का देश है यहां कई जाति और बोलियां बोली जाती है. सभी समाज की अपनी-अपनी अलग परंपरा है. इसी कड़ी में हम आपको आज छत्तीसगढ़ की कुछ ऐसी अनोखी परंपराओं (unique tradition) के बारे में बताने वाले हैं, जो शायद आपने कभी सुनी न होगी.
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नई दिल्ली: भारत विविधताओं का देश है यहां कई जाति और बोलियां बोली जाती है. सभी समाज की अपनी-अपनी अलग परंपरा है. इसी कड़ी में हम आपको आज छत्तीसगढ़ की कुछ ऐसी अनोखी परंपराओं (unique tradition) के बारे में बताने वाले हैं, जो शायद आपने कभी सुनी न होगी. कई परंपराओं के बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे.तो चलिए जानते हैं...
1. एक हफ्ते पहले दिवाली और होली
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बेहद ही अनोखी परंपरा है. यहां सेमरा गांव में दिवाली के एक हफ्ते पहले ही त्योहार मनाने की परंपरा 5 दशकों से चली आ रही है. दिवाली ही नहीं बल्कि होली का त्योहार भी एक हफ्ते पहले ही मना लिया जाता है.
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जानिए इस परंपरा के पीछे का रहस्य
इस परंपरा के पीछे का रहस्य ये है कि गांव में सिदार देव हैं, जिन्होंने गांव को बड़ी विपत्ति से मुक्त किया था. वहीं गांव में पुजारी को सपना भी आया था कि सिदार देव ने गांव में कभी आपदा नहीं का भरोसा दिया और कहा कि सबसे पहले मेरी पूजा करनी होगी. ये ही कारण है कि एक हफ्ते पहले त्योहार मनाया जाता है.
2. कीचड़ से नहाने की परंपरा
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा का मैनपाट अपने मनोहारी दृश्यों के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. यहां एक अनोखी परंपरा को निभाया जाता है. क्षेत्र में बसे मांझी-मझवार (Manjhi-majhwar Tribe) जनजाति में बारातियों के स्वागत की अनूठी परंपरा है. यहां लड़की का भाई बारात का स्वागत कीचड़ से नहाकर और नाचते गाते करते हैं. फिर दूल्हे को हल्दी और तेल लगाकर शादी मंडप में आने का आमंत्रण देते हैं.
बता दें कि ये परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मझवार लोगों का कहना है कि अलग-अलग गोत्र में बारातियों का स्वागत उनकी मान्यता प्राप्त पशु-पक्षियों के आधार पर ही किया जाता है, ताकि उनकी पहचान और गौरव से दूसरे परिवार अवगत हो सकें.
3. पानी को साक्षी मान कर शादी
छत्तीसगढ़ के ये परंपरा भी शादी से जुड़ी हुई है. दरअसल बस्तर जिले के आदिवासी समाज द्वारा एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, यहां आदिवासी पानी को साक्षी मान क शादी करते हैं. वो इसलिए क्योंकि शादी के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची को बचाना चाहते हैं. ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है. जो आदिवासी पानी को साक्षी मान कर शादी करते हैं वो धुरवा समाज से आते हैं. इस समाज में पानी को बहुत अहमियत दी जाती है. खास बात ये कि शादी में जिस पानी का इस्तेमाल होता है, ये पानी बस्तर में ही बहने वाली नदी कांकेरी का होता है.
4. टैटू बनवाने वाली प्रथा
छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज में एक अनोखी परंपरा चली आ रही है. इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू गुदवाते हैं, हालांकि हैरानी की बात ये है कि ना ये लोग मंदिर जाते हैं, और न मूर्ति पूजा करते हैं. इस तरह के टैटू को स्थानीय भाषा में गोदना कहा जाता है. इस परंपरा को भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखा जाता है.
बगावत की कहानी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 100 साल पहले हिंदुओं के ऊंची जाति के लोगों ने इस सामज को मंदिर में घुसने से मना कर दिया था. इसके बाद इस विरोध के चलते ही इस समाज के लोगों ने पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाना शुरू कर दिया.
5. शादी में दिए जाते हैं सांप
छत्तीसगढ़ के कोरबा में सोहागपुर गांव में सर्पलोक है. यहां सवरा समाज में अनोखी परंपरा है. यहां परिवार में बेटी की शादी में दहेज में 21 सांप दिए जाते हैं. इसके पीछे की मान्यता ये है कि इससे ससुराल में संपन्नता आती है और रोजी रोटी के लिए सांप दिखाकर पैसे कमाने की परंपरा भी चलती रहे. इस समाज के लिए बड़ी समस्या ये है कि उनके पास कोई जमीन नहीं होने से उनके पास कोई जाति-प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है.