Coal Crisis: कुछ महीनों से भारत सरकार के सेल की ध्वजवाहक इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहा है जिसके चलते आज ब्लास्ट फर्नेस -6 में उत्पादन नहीं हो रहा है. भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्पादन पूरी तरह ऑस्ट्रेलियन कोक ओवन से होता है लेकिन कोयला पूरी तरह से भिलाई इस्पात संयंत्र तक नहीं पहुंच पा रहा है जिसके कारण उत्पादन में कमी देखने को मिल रही है.
Trending Photos
दुर्ग: एशिया के सबसे बड़े इस्पात संयंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि जब दो ब्लास्ट फर्नेसों से उत्पादन नहीं हो रहा है. इसका प्रमुख कारण कोयले की कमी को माना जा रहा है. भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्पादन पूरी तरह ऑस्ट्रेलियन कोक ओवन से होता है लेकिन कोयला पूरी तरह से भिलाई इस्पात संयंत्र तक नहीं पहुंच पा रहा है जिसके कारण उत्पादन में कमी देखने को मिल रही है.
ब्लास्ट फर्नेस -6 में उत्पादन नहीं हो रहा
दरअसल, कुछ महीनों से भारत सरकार के सेल की ध्वजवाहक इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहा है जिसके चलते आज ब्लास्ट फर्नेस -6 में उत्पादन नहीं हो रहा है. बीएसपी में कोक बनाने के लिए आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों से आयातित कोयला उपयोग करता है. विदेशी कोल में राख की मात्रा स्वदेशी कोयले से काफी कम होती है इसलिए ब्लास्ट फर्नेस में विदेशी कोयले से बने ही कोक का उपयोग होता है.
प्रतिदिन 12500 हजार टन कोयले की आवश्यकता
भिलाई इस्पात संयंत्र को प्रतिदिन 12500 हजार टन कोयले की आवश्यकता होती है. रोजाना कम से कम पांच रैक की आवश्यकता होती है लेकिन बीएसपी को दो या तीन रैक कोयला मिल रहा है जिसके कारण उत्पादन में भी असर पड़ रहा है. पिछले 4 दिनों में भिलाई इस्पात संयंत्र के हॉट मेटल उत्पादन में 3000 टन प्रतिदिन तक की कमी आ चुकी है.
भिलाई इस्पात संयंत्र का हॉट मेटल प्रोडक्शन हो गया काफी कम
अभी भी लोहा उत्पादन के लिए ब्लास्ट फर्नेस में 85 फीसद तक आयातित कोकिंग कोल उपयोग किया जाता है. ब्लास्ट फर्नेस में उत्पादन बंद होते ही अब भिलाई इस्पात संयंत्र का हॉट मेटल प्रोडक्शन काफी कम हो गया है. महज 8 से 10 दिनों में ही 15 हजार टन प्रतिदिन के उत्पादन से घटकर 11- 12 हजार टन तक पहुंच गया है.
विदेशी कोल को भिलाई तक लाने के लिए पर्याप्त संख्या में वैगन नहीं
आपको बता दें कि भिलाई इस्पात संयंत्र को कोयले की आपूर्ति समय पर इसलिए नहीं हो पा रही है क्योंकि उसे विदेशी कोल को भिलाई तक लाने के लिए पर्याप्त संख्या में वैगन नहीं मिल पा रहे है. बताया जा रहा है 5 लाख टन कोकिंग कोल विशाखापट्टनम पोर्ट पर पहुंच चुका है लेकिन उसे लाने के लिए रेलवे की ओर से एक्सट्रा रैक उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं. सेल प्रबंधन को उम्मीद है कि आगामी दिनों में 3 से 4 दिनों के अंदर वैगन उपलब्ध होंगे और ऑस्ट्रेलियन कोल भिलाई इस्पात संयंत्र तक पहुंच जाएगा. बहरहाल, यदि भिलाई इस्पात संयंत्र को कोक नहीं मिला और समय पर जितने कोल की आवश्यकता है, उतना कोयला नहीं पहुंचा तो भिलाई इस्पात संयंत्र की कई इकाइयां बंद भी हो सकती हैं.
PFI का कट्टरपंथ, सिमी से क्या है संबंध? इस राज्य को बनाना चाहता है मुस्लिम बहुल! जानिए सबकुछ