Super Vasuki: साढ़े तीन किलोमीटर लंबी और 295 वैगनों वाली मालगाड़ी जब पटरी पर दौड़ी तो उसने इतिहास रच दिया. 6 इंजन वाली ये मालगाड़ी देश की सबसे लंबी मालगाड़ी कही जा रही है.
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नई दिल्ली: 15 अगस्त को देश में पहली बार सबसे लंबी मालगाड़ी चलाई गई जिसकी लंबाई करीब साढ़े तीन किलोमीटर थी. इसे छत्तीसगढ़ के कोरबा से राजनांदगांव के परमकला के बीच चलाया गया.
कोरबा से राजनांदगांव के परमकला के बीच चली थी मालगाड़ी
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन बिलासपुर में अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में 15 अगस्त को पांच मालगाड़ियों को जोड़कर कोरबा से राजनांदगांव के परमकला के बीच चलाया गया. इसकी लंबाई 3.5 किमी थी. यहां से मालगाड़ी को अलग कर जिन बिजली घरों के लिए कोयला आपूर्ति होनी थी, वहां के लिए रवाना कर दिया गया.
मालगाड़ी कोयला लोड होकर पहली बार चली
इससे पहले भी 22 जनवरी 2021 में पांच खाली मालगाड़ी भिलाई से कोरबा लाई गई थी. इसे वासुकी नाम दिया गया था. मालगाड़ी कोयला लोड होकर पहली बार चली है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन का दावा है कि यह देश की सबसे लंबी मालभाड़ा ट्रेन है.
6 इंजनों ने खींचा लोड
इस ट्रेन का नाम सुपर वासुकी दिया गया है. इसमें वैगन की संख्या 295 है. इसमें 27 हजार टन कोयला लोड था जिसे 6 इंजन खींच रहे थे. इस ट्रेन की लंबाई 3.5 किलोमीटर थी जिसने 260 किलोमीटर की दूरी तय की. इस दूरी को तय करने में ट्रेन को करीब 11 घंटे 20 मिनट लगे.
रेल मंत्री ने किया ट्ववीट
इस ट्रेन के बारे में जानकारी को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्ववीट भी किया जिसमें कोथारी रोड स्टेशन से पूरी ट्रेन गुजरते हुए दिखाई गई है.
Super Vasuki - India's longest (3.5km) loaded train run with 6 Locos & 295 wagons and of 25,962 tonnes gross weight.#AmritMahotsav pic.twitter.com/3oeTAivToY
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 16, 2022
पहले चली हैं ये ट्रेनें
सुपर वासुकी से पहले वासुकी, एनाकोंडा, सुपर एनाकोंडा, शेषनाग नाम से लंबी ट्रेनें चल चुकी हैं. एक साथ तीन या पांच मालगाड़ी को जोड़कर परिचालन से न केवल स्टाफ की बचत होती है, बल्कि रेलवे ट्रैक पर यातायात का दबाव कम होता है. आमतौर पर सुरक्षित परिचालन के लिए एक ब्लाक सेक्शन में केवल एक मालगाड़ी या ट्रेन चलाई जाती है. दूसरे सेक्शन में तभी प्रवेश करती है, जब पहले के गुजरने के बाद ग्रीन सिग्नल मिलता है. इसके अलावा इससे ट्रेनों की समयबद्धता में सुधार आएगा. साथ ही बिजली घरों तक समय पर कोयला पहुंचाया जा सकता है.
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