Aaj ki Dharmik Kahani: भगवान राम के जीवन से जुड़ी बहुत सारी कहानियां है. इसमें से एक कहानी है जब प्रभु श्री राम ने लंका विजय से पहले रामेश्वरम में शिवलिंग बनाया था. सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने के लिए लाखों भक्त आते हैं. आइए जानते हैं इसकी वजह.
अयोध्या की रानी कैकयी के वरदान मांगने के बाद भगवान राम भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ वन चले जाते हैं.
इसके बाद वो दंडकारण्य में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं. यहां से एक बार एक सोने का मृग गुजरता है.
जिसकी खोज में प्रभु राम चले जाते हैं लेकिन इसी समय माता सीता का हरण हो जाता है.
इसके बाद वन - वन टहलने के बाद भगवान राम की मुलाकात हनुमान जामवंत से होती है. फिर माता सीता का पता चलता है.
इसके बाद लंका पर चढ़ाई करने के लिए भगवान राम अपने दल बल के साथ रामेश्वरम में एक शिवलिंग की स्थापना करते हैं.
इस शिवलिंग की स्थापना करके प्रभु राम ने भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया था. जिसके बाद भगवान भोलेनाथ ने प्रभु को लंका विजय का आशीर्वाद दिया था.
इस शिवलिंग की स्थापना में जामवंत के आग्रह करने के बाद रावण ने आचार्य की भूमिका निभाई थी.
कंबन रामायण में मिलता है कि रावण माता सीता को भी इस पूजा में शामिल करने के लिए लंका से रामेश्वरम लेकर आया था.
धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना प्रभु श्री राम ने अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए की थी. जिस ज्योतिर्लिंग की पूजा आज भी होती है.
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